बलरामपुर।
फर्जी अभिलेखों के सहारे नौकरी हथियाना माध्यमिक इंटर कॉलेज के शिक्षकों को भारी पड़ रहा है। जिले में 16 शिक्षक आयोग से फर्जी नियुक्ति पत्र के सहारे जिले के 11 इंटर कॉलेजों में नौकरी हासिल करने में सफल रहे। इतना ही नहीं इन्होंने बड़े नाटकीय एवं साजिश के तहत अपनी योग्यता संबंधी मूल अभिलेखों का सत्यापन कर लिया जो सही मिला। लेकिन आयोग से जारी नियुक्ति पत्र का सत्यापन न करने से वेतन उठाने में सफल रहे। जब इनकी नियुक्ति पत्र का सत्यापन आयोग से होना शुरू हुआ तो नियुक्ति पत्र ही फर्जी पाया गया। ऐसे में जिले के 18 जाल साज शिक्षकों के फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश होते ही माध्यमिक शिक्षा महात्मा में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में सभी जालसाज स्कूल छोड़कर फरार हो गए। विभाग की मानें तो इन अध्यापकों ने आठ से 10 महीने का वेतन भी उठा रखा है। प्रकरण का खुलासा होते ही विभाग हरकत में आ गया। जिला विद्यालय तत्काल संबंधित स्कूलों के प्रबंधकों को नोटिस जारी कर फर्जी अध्यापकों के विरुद्ध नजदीकी थाने में एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया। मामला जब तक गरम रहा तब तक तो विद्यालय प्रिंसिपल, प्रबंधक व माध्यमिक शिक्षा महकमा के अधिकारी हरकत में रहे, लेकिन प्रकरण शांत होते ही उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लोगों का कहना है कि 18 अध्यापकों में अभी तक सिर्फ बसंत लाल इंटर कॉलेज के दो शिक्षक सुनील कुमार पांडेय एवं चंद्रशेखर सिंह के विरुद्ध तुलसीपुर थाने में प्राथमिक की दर्ज कराकर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जा सका है। वहीं जिला मुख्यालय के बलरामपुर बालिका इंटर कॉलेज में तैनात आसमा परवीन के विरुद्ध विद्यालय प्रिंसिपल रेखा देवी ने नगर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराया है। पुलिस ने बीते शनिवार को मुख्यालय के वीर विनय चौराहे से संबंधित अध्यापिका को गिरफ्तार कर न्यायालय अभिरक्षा में भेज दिया। बाकी 15 अध्यापकों के विरुद्ध संबंधित स्कूलों ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं करा सका है। अब सवाल यह उठता है कि इन अध्यापकों को कहां से सहारा मिला है कि विद्यालयों के प्रिंसिपल उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने से दूर भाग रहे हैं।
जिले परिषदीय विद्यालयों की भांति माध्यमिक इंटर कॉलेजों में शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़ा अछूता नहीं है। 19 शासकीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों के सापेक्ष 11 माध्यमिक विद्यालयों में 18 शिक्षक आयोग के फर्जी आदेश पर नौकरी हथियाने में सफल रहे हैं। मामला उजागर होने के बावजूद अभी मात्र तीन शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज कराकर जेल भेजा गया है। इनमें दो पुरुष व एक महिला फर्जी अध्यापिका शामिल हैं।
तदर्थ शिक्षकों से दो कदम आगे आयोग के फर्जी शिक्षक
जिले में संचालित सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में प्रबंध तंत्र ने तदर्थ शिक्षक के नाम पर तो पहले से ही मानक को ताख पर रखकर अनियमित तरीके से शिक्षकों की भर्ती कर रखी है। इस प्रकरण पर तमाम स्कूलों की जांच न्यायालय में लंबित है। इसकी सिरे से जांच कराई जाए तो अभिलेखों के फर्जीवाड़े के साथ पदों पर भी मानक के अनुरूप शिक्षक की तैनाती नहीं की गई। विषय कुछ रहा और तैनाती अन्य विषय पर कर दी गई। अभी इन स्कूलों के मामले पर कार्रवाई सिरे से शुरू भी नहीं हो सकी। ऐसे में आयोग के फर्जी आदेश पर विभागीय सांठगांठ से जिले में 18 अध्यापक विभिन्न स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर नौकरी हथियाने में सफल रहे। अभिलेखों के सत्यापन में पता चला कि यह सभी अध्यापक आयोग के फर्जी आदेश पर कार्य कर रहे हैं। मामले का खुलासा होते ही विभाग के हाथ पांव फूल गए। कार्रवाई होने के भय से सभी फर्जी अध्यापक स्कूल छोड़कर फरार हो गए। मामला विभाग के संज्ञान में आए हुए छह माह से अधिक का समय बीत गया, लेकिन अभी तक शिक्षा महकमा सिर्फ तीन अध्यापकों पर ही एफआईआर दर्ज कराकर जेल भेजने में कामयाब रह सका है।
विभागीय मेहरबानी से 15 फर्जी अध्यापकों पर नहीं हुआ एफआईआर
माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड आयोग के फर्जी नियुक्ति आदेश पर जिले में 17 अध्यापक विभिन्न 11 स्कूलों में नौकरी हथियाने में सफल रहे हैं। इनमें एमपीपी इंटर कॉलेज में मुकेश कुमार पांडेय, हरिशंकर प्रसाद, डीएवी इंटर कॉलेज में भूपेंद्र यादव, विकास चंद्र मिश्रा, राम शंकर भारती इंटर कॉलेज मथुरा बाजार में मनोज कुमार सिंह, प्रेमलता हैं। लोकमान्य इंटर कॉलेज पचपेड़वा में सांगा तोमर, स्वतंत्र भारत इंटर कॉलेज तुलसीपुर में मीतेश यादव, बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज रेहरा बाजार में धर्मेंद्र मिश्रा व बीपीएस इंटर कॉलेज रेहरा बाजार में कल्पना मौर्या फर्जी नौकरी हथियाने में सफल रही हैं। भारतीय इंटर कॉलेज उतरौला में शिल्पी केसरी, प्रियंका मिश्रा, जितेंद्र कुशवाहा एवं मोहन लाल राम लाल इंटर कॉलेज शिवपुरा में संतोष कुमार व चंद्र राज कुमार दुबे शामिल हैं। इन सबके विरुद्ध शिक्षा महकमा आज तक एफआईआर तक दर्ज नहीं करा सका है। यह सभी अध्यापक आयोग के फर्जी नियुक्ति आदेश पर जिले में नौकरी कर एक से डेढ़ साल का वेतन उठा चुके हैं। मामले का खुलासा होने के दौरान माध्यमिक शिक्षा महकमा हरकत में आया था, लेकिन धीरे-धीरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जिस कारण आज तक 15 फर्जी अध्यापकों पर संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराने का आदेश विद्यालय प्रधानाचार्य ने ठंडे बस्ते में डाल रखा है।
तदर्थ शिक्षक के नाम पर स्कूलों में भी खूब हुआ फर्जीवाड़ा
जिले के माध्यमिक इंटर कॉलेजों में प्रबंधकों ने नियम कानून को ताक पर रखकर तमाम तदर्थ शिक्षकों को अनियमित तरीके से भर्ती कर वेतन निर्गत कर दिया। इस संबंध में कई मामले उच्च न्यायालय में लंबित होने की भी चर्चा है। जानकारों की मानें तो 18 से 20 लाख रुपए लेकर प्रबंधकों ने मानक को ताक पर रखकर शिक्षकों की भर्ती कर ली। भाजपा सरकार के केंद्र व राज्य में आने के बाद इन पर शिकंजा कसना शुरू हो गया। शासन से सभी भर्तियां आयोग से होने के कारण पूर्व में हुए भर्तियों की जांच भी शुरू की। जिसमें पाया गया कि जिले में लगभग आधा दर्जन से अधिक शिक्षक न्यायालय के आदेश पर बिना वेतन के 2017 से इंटर कॉलेजों में ड्यूटी बजा रहे हैं। इनको उम्मीद है कि न्यायालय के आदेश पर नियुक्ति जिस तरह से मिली है उसी तरह वेतन एवं एरियर भी मिल जाएगा। इसी आस में 2017 से आज तक एक दर्जन शिक्षक स्कूलों में बिना वेतन के अध्यापन कार्य कर रहे हैं।
जिले के 11 माध्यमिक इंटर कॉलेज में 18 अध्यापक फर्जी तरीके से नौकरी करते पाए गए हैं। जिनके योग्यता संबंधी अभिलेख सत्यापन में सही पाए गए, लेकिन नियुक्ति पत्र फर्जी पाया गया। इनमें 15 अध्यापक आयोग के फर्जी आदेश पर विभिन्न स्कूलों में नौकरी हथियाने में सफल रहे। इनके विरुद्ध विद्यालयों के प्रधानाचार्य को संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है।
गोविंद राम, डीआईओएस बलरामपुर