शंघाई, एजेंसी। नौ लाख साल पहले इंसान की पूरी प्रजाति विलुप्त होने के करीब पहुंच गई थी। इस दौरान धरती पर केवल 13 सौ लोग जिंदा बचे थे। चीन में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में ये भी बताया गया है कि पृथ्वी पर रहने वाले आठ अरब लोग क्या आज सिर्फ इसलिए जिंदा हैं क्योंकि ये 1300 लोग इतने मजबूत थे कि वे तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी जिंदा रहे।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन के लिए दो लाख साल पहले के आदिमानवों के कुछ अवशेष संरक्षित किए। इनमें से करीब 3,150 लोगों डीएनए लेकर उनका अध्ययन किया गया है। जेनेटिक विश्लेषण के आधार पर किए गये अध्ययन में इंसान के पूर्वजों के उस दौर के जीवन की जांच की गयी है, जब मानव जाति समूल नाश के कगार पर पहुंच गयी थी।
अध्ययन में बताया गया है कि एक लाख 20 हजार साल तक इंसानियत के समूल नाश का खतरा बना रहा। बता दें कि जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिये वैज्ञानिक जेनेटिक बदलावों का पता लगाकर अति प्राचीन समय के आदिमानवों का भी विश्लेषण कर सकते हैं। इस अध्ययन के नतीजों को साइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
हिमयुग को माना गया वजह अध्ययन के मुताबिक ऐसा संभवतया हिमयुग के वक्त धरती का तापमान गिरने की वजह से हुआ था जो करीब एक लाख 20 हजार साल तक जारी रहा। उसके बाद जब तापमान बढ़ने लगा तो आबादी बहुत तेजी से बढ़ी।
दोबारा पनपने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी
चीनी शोधकर्ताओं नेअध्ययन के लिए एक कंप्यूटर मॉडलिंग तैयार की। चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के शंघाई इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन एंड हेल्थ के प्रमुख और अध्ययन के प्रमुख लेखक हाईपेंग ली ने बताया कि धरती की 98.7 फीसदी आबादी खत्म हो गयी थी। हमारे पूर्वज लगभग विलुप्त हो गये थे और बचकर दोबारा पनपने के लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी।