प्रतापगढ़। पुरानी पेंशन बहाली के लिए शिक्षकों, कर्मचारियों ने मांग तेज कर दी है। दिल्ली में बड़ी संख्या में जुटी भीड़ से कर्मचारी नेताओं को जैसे संजीवनी मिल गई है। अब वे पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष को और तेज करने की तैयारी में हैं। उन्होंने नौ अक्तूबर को लखनऊ में धरना- प्रदर्शन कर सरकार को अपनी ताकत दिखाने का फैसला किया है। इसमें प्रतिभाग करने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारी लखनऊ जाने की तैयारी कर रहे हैं।
एक अप्रैल 2004 से लागू हुई नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) शिक्षकों और कर्मचारियों को अपने हितों पर कुठाराघात लग रही है। वह इसे रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इसके लिए कर्मचारी और शिक्षक संगठन लगातार संघर्ष कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि अगर एनपीएस इतना ही अच्छा है, तो सांसद और विधायकों
पर क्यों नहीं लागू किया जा रहा है। नेताओं को पुरानी, कर्मचारियों को नई पेंशन क्यों फेडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल एसोसिएशन के जिला मंत्री राम प्रकाश दुबे ने कहा कि हमारे मत से जीत कर संसद और विधानसभा पहुंचने वाले नेताओं ने अपने लिए पुरानी पेंशन और शिक्षकों, कर्मचारियों के लिए नई पेंशन लागू किया है। अगर एनपीएस में इतनी ही अच्छाई है, तो उसे सांसदों और विधायकों पर क्यों नहीं लागू किया जा कहना चाहिए।
रहा है। एनपीएस एक धोखा है: राज्य कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष वकील अहमद ने कहा कि एनपीएस एक धोखा है, जिसमें सरकार की कोई गारंटी नहीं होती। कर्मचारियों के संपूर्ण वेतन से दस प्रतिशत की कटौती प्रतिमाह की जाती है। सेवानिवृत्ति के बाद एक हजार या दो हजार रुपये पेंशन मिलती है। एनपीएस को न्यू पेंशन स्कीम नहीं नॉट पेंशन स्कीम
एनपीएस में यह हैं खामियां
■ पेंशन की राशि बहुत कम होना।
■ वेतन से प्रतिमाह 10 फीसदी की कटौती। ■ मुद्रा बाजार में कर्मचारियों की राशि का निवेश
| ■ सेवानिवृत्ति के समय राशि का महज 60 फीसदी भुगतान।
■ कार्यकाल के दौरान वेतन से कटौती का 25 फीसदी अंश महज तीन बार ही प्रयोग कर पाना।