बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने जाति गणना के आंकड़े जारी कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 फीसदी है और पिछड़ा वर्ग की संख्या 27 पर्सेंट है। साफ है कि सबसे बड़ा सामाजिक समूह ओबीसी वर्ग का है, जिसकी संख्या 63 फीसदी है। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद नीतीश कुमार और लालू यादव की पार्टी आरजेडी दोनों ही मिलकर इसका श्रेय ले रहे हैं। वहीं भाजपा भी समर्थन की बात करके ओबीसी को सबसे ज्यादा महत्व देने वाली पार्टी का दावा कर रही है। साफ है कि 2024 के आम चुनाव से पहले OBC पॉलिटिक्स केंद्रीय भूमिका में आ गई है।
साफ है कि ओबीसी की राजनीति को बिहार से आए 63 फीसदी के आंकड़े से ताकत मिलने वाली है। राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार इस रिपोर्ट को लेकर कहते हैं, ‘यह आंकड़े हैरान करने वाले नहीं है। पहले ही बिहार को लेकर ऐसा ही अनुमान रहा है, लेकिन अब सरकारी आंकड़ा है तो तस्वीर ज्यादा साफ है। इस रिपोर्ट के बाद नीतीश कुमार और लालू यादव जैसे नेता यह प्रचार करेंगे कि ओबीसी की आबादी 60 पर्सेंट से ज्यादा है, जबकि आरक्षण 27 फीसदी ही मिलता है। इसे बढ़ाना चाहिए और सरकार अन्याय कर रही है। इस तरह भाजपा को ओबीसी पर घेरने की कोशिश होगी। एक तरह से 2024 से पहले विपक्ष को एक हथियार मिल गया है।’
आबादी के अनुसार आरक्षण की मांग उठने लगी
इसका अर्थ हुआ कि आने वाले दिनों में आबादी के मुताबिक आरक्षण की डिमांड तेज हो सकती है। जेडीयू के सीनियर नेता केसी त्यागी ने तो नीतीश कुमार की तुलना कर्पूरी ठाकुर और वीपी सिंह से कर दी। उन्होंने कहा कि यह मंडल पार्ट-2 है और पिछड़ों को नीतीश कुमार न्याय दिला रहे हैं। वहीं जीतनराम मांझी ने तो आंकड़े आते ही नौकरियों में आबादी के अनुसार आरक्षण की मांग रख दी। लालू यादव, नीतीश कुमार, अखिलेश यादव जैसे नेता तो लगातार यह मांग दोहराते रहे हैं। अखिलेश यादव भी यूपी में जाति गणना की मांग करते रहे हैं।
बिहार से आई रिपोर्ट का यूपी पर भी होगा असर?
अब बिहार में आई रिपोर्ट के बाद वह इस पर और मुखर हो सकते हैं। यही नहीं 2022 के यूपी चुनाव में तो स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं के जरिए उन्होंने 15 बनाम 85 का नारा दे ही दिया था। अब एक बार फिर से 2024 में यूपी, बिहार जैसे हिंदी पट्टी के राज्यों में ओबीसी कार्ड तेज हो सकता है। इसका असर यूपी, बिहार से आगे राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा जैसे प्रदेशों में भी दिख सकता है। यानी 2024 के लिए विपक्ष को हथियार मिल चुका है, देखना होगा कि वह इसका इस्तेमाल पीएम नरेंद्र मोदी के मुकाबले कैसे कर पाता है, जो खुद ओबीसी चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किए जाते हैं।