प्रयागराज। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों की न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) में निवेशित लाखों रुपये बगैर उनकी सहमति के निजी कंपनियों में लगा दिए गए। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के बाबुओं के खेल का खुलासा होने के बाद से शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है। इस खेल में एक शिक्षक की निवेशित राशि एक दिन में 4.17 लाख रुपये कम हो गई। विद्यावती यादव स्मारक महर्षि कृष्ण इंटर कॉलेज हंडिया के शिक्षक नरेंद्र प्रताप यादव के खाते में 25 अक्तूबर को 22,15,045 रुपये थे। जो उसी दिन घटकर 17,97,919 हो गए यानि एक दिन में ही 4.17 रुपये कम हो गए। वहीं, इसी स्कूल के शिक्षक भाल चंद्र के भी 25 अक्तूबर को एनपीएस में 17,14,338 रुपये थे जो घटकर 13,78,662 हो गए थे। यानी बाल चंद्र का 3.35 लाख रुपये कम हो गए हैं।
जिले के हजारों शिक्षकों के वेतन से कटौती की गई धनराशि बिना उनकी सहमति के डीआईओएस कार्यालय की ओर से प्राइवेट कंपनी में कैसे लगा दी गई। कार्यालय के इस कृत्य से शिक्षकों का काफी आर्थिक नुकसान हो गया है। इसकी भरपाई कौन करेगा, यह आर्थिक अपराध का गंभीर मामला है। सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए।
योगेश कुमार मिश्र, सहायक अध्यापक
एनपीएस पेंशन के नाम पर मजाक चल रहा है। शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन के अरबों रुपये से एक ओर पूंजीपति लाभ कमा रहे हैं, दूसरी ओर अधिकारी और कर्मचारी प्राइवेट कंपनियों के एजेंटों से मिलकर एनपीएस में जमा धन की ठगी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को संज्ञान में लेकर इसकी प्रदेश स्तर पर उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए। लालमणि द्विवेदी,
संयोजक उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघशिक्षकों कर्मचारियों के गाढ़ी कमाई के पैसे को सरकारी कंपनियों से निकलकर प्राइवेट कंपनी में निवेश कर देना बहुत बड़े घोटाले की ओर संकेत देता है। जिला विद्यालय निरीक्षक से मांग की जाती है कि इसकी जांच कर तत्काल संबंधित के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें अन्यथा की स्थिति में शिक्षक कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर होगा। डॉ हरि प्रकाश यादव, प्रदेश संरक्षक, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट