परिषदीय स्कूलों में नए शैक्षिक सत्र वर्ष 2024-25 से कक्षा दो तक के विद्यार्थियों को क्षेत्रीय भाषा में ही पढ़ाई कराई जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-वर्ष 2020 (National Education Policy 2020) में क्षेत्रीय भाषाओं व मातृ भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
विद्यार्थी अपनी क्षेत्रीय भाषा में आसानी से पाठ पढ़ सकेंगे। शिक्षकों के लिए 75 हजार शब्दों का शब्दकोश तैयार किया गया है।
परिषदीय स्कूलों में नए शैक्षिक सत्र वर्ष 2024-25 से कक्षा दो तक के विद्यार्थियों को क्षेत्रीय भाषा में ही पढ़ाई कराई जाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-वर्ष 2020 (National Education Policy 2020) में क्षेत्रीय भाषाओं व मातृ भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। विद्यार्थी अपनी क्षेत्रीय भाषा में आसानी से पाठ पढ़ सकेंगे।
शिक्षकों के लिए 75 हजार शब्दों का शब्दकोश तैयार किया गया है। भोजपुरी, अवधी, ब्रज व बुंदेली भाषा के शब्दों का अनुवाद किया गया है, ताकि शिक्षक आसानी से विद्यार्थियों को उन्हीं की भाषा में पढ़ाई करा सकें।
यह है तैयारी
प्रारंभिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम अगर स्थानीय व क्षेत्रीय भाषा है तो वह पाठ आसानी से समझ सकेंगे।
कई बार विद्यार्थी भाषा सीखने में असहज हो जाते हैं, क्योंकि उनके घर में बोले जाने वाली भाषा और स्कूल में पढ़ाई जा रही भाषा में अंतर होने के कारण उन्हें कठिनाई होती है। आगे ऐसा न हो इसके लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के निदेशक पवन सचान के मुताबिक, शिक्षकों के लिए तैयार की गई शब्दकोश पुस्तक जल्द स्कूलों में पहुंचाई जाएगी।
शिक्षकों के लिए मददगार होगी पुस्तक
अगर कोई शिक्षक पूर्वी उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तैनात है तो उसे विद्यार्थियों को उन्हीं की भाषा में पढ़ाने में यह पुस्तक मददगार होगी।
आगे अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों को भी क्षेत्रीय भाषा में ही पढ़ाई कराई जाएगी।