माध्यमिक विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों तक पुरानी भर्तियां फंसीं
प्रयागराज । प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने से रिक्त पदों की संख्या लगातार बढ़ रही है और दूसरी ओर पुरानी भर्तियां जहां की तहां अटकी हुई हैं। शिक्षकों की संख्या कम होने से आने वाले सत्र में शिक्षण संस्थानों में पठन-पाठन प्रभावित होने की आशंका है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने वर्ष 2022 में सहायक अध्यापक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) के 4163 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इनमें टीजीटी के 3313 और पीजीटी के 850 पद शामिल हैं। इस भर्ती के लिए अगस्त 2022 में ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है, लेकिन भर्ती परीक्षा अब तक आयोजित नहीं की गई।
इसके लिए साल भर से नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन का इंतजार किया जा रहा है। वर्तमान में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में टीजीटी के 20485 पद और प्रवक्ता के 4384 पद खाली हैं। हजारों की संख्या में पद रिक्त पड़े हैं और पुरानी भर्ती अब तक शुरू भी नहीं हो सकी है। यही हाल प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों का भी है।
अशासकीय महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 51 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर
भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इस भर्ती के लिए भी ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया अगस्त 2022 में पूरी हो चुकी है। जून-2023 में प्रदेश भर में सैकड़ों की संख्या में शिक्षक रिटायर हुए और बड़ी संख्या में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद रिक्त हो गए। इसके बावजूद नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के इंतजार में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर पुरानी भर्ती अब तक शुरू नहीं हो सकी है।
इसके अलावा राजकीय इंटर कॉलेजों में भी शिक्षक भर्ती पांच साल से ठप पड़ी हुई है। राजकीय इंटर
कॉलेजों में सहायक अध्यापकों के 19300 पद स्वीकृत हैं और इनमें से 6365 पद रिक्त हैं। खाली पड़े पदों का अधियाचन साल भर पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को मिल चुका है, लेकिन समकक्ष अहंता के विवाद में यह भर्ती शुरू नहीं हो पा रही है।
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि हजारों की संख्या में शिक्षकों के पद खाली होने के कारण शिक्षण संस्थानों में अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है। सरकार को जब नया शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित करना ही है तो देर क्यों हो रही है। प्रतियोगी छात्र मोर्चा के अध्यक्ष विक्की खान का कहना है कि हजारों पद रिक्त होने के बावजूद पढ़े-लिखे बेरोजगार नौकरी के लिए भटक रहे हैं। शासन का यही रवैया बेरोजगारों को आंदोलन के लिए बाध्य कर रहा है।