लखनऊ। प्रदेश सरकार आउटसोर्सिंग से होने वाली कर्मचारियों की भर्ती व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए 12वीं से ज्यादा पढ़े युवा अयोग्य होंगे। एक जैसा काम करने वालों के पदनाम, उनकी शैक्षिक योग्यता और मानदेय भी तय किए जाएंगे।
प्रदेश के सरकारी विभागों व उनके अधीनस्थ संस्थाओं में आउटसोर्सिंग के जरिये कर्मचारी रखे जाते हैं। लंबे समय से कर्मचारी संगठन इन लोगों के शोषण की शिकायतें कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिए थे। इस संबंध में श्रम विभाग ने एक कैबिनेट प्रस्ताव 10 अक्तूबर को उन्हें भेजा था। सीएम के सुझावों को शामिल कर बने नए प्रस्ताव पर अगले ही दिन मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने बैठक कर इसे अंतिम रूप दे दिया
3 लाख से ज्यादा कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर कार्यरत हैं।
इनको न्यूनतम 7000 और अधिकतम 14 हजार रुपये दिया जा रहा है। कई विभागों में कार्य की प्रकृति के अनुसार अधिक वेतन भी दिया जाता है।
आउटसोर्सिंग नीति के लिए प्रस्तावित महत्वपूर्ण बिंदु
चतुर्थ श्रेणी के पदों की न्यूतनम शैक्षिक अर्हता आठ व अधिकतम 12वीं उत्तीर्ण होगी।
■ चतुर्थ श्रेणी लिपिकीय, तृतीय श्रेणी/ तकनीकी व सुपरवाइजरी की भर्तियों में कोई प्रतीक्षा सूची नहीं बनेगी। जगह खाली हुई तो नए सिरे से भर्ती होगी।
■ ऐसे पद जो मानकीकृत सूची में नहीं हैं व जिस पर कोई विभाग तैनाती करना चाहता है, उन पदों के पदनाम, न्यूनतम शैक्षिक अर्हता व मानेदय का निर्धारण विभाग करेगा।
यदि कोई विभाग तय न्यूनतम मानदेय से अधिक देना चाहता है। तो वह वित्त विभाग की सहमति लेकर दे सकेगा।