केंद्र सरकार के कर्मियों और पेंशनरों को 4 फीसदी महंगाई भत्ता/महंगाई राहत मिलने का काउंट डाउन शुरू हो गया है। कैबिनेट की बैठक में भेजे जाने वाला प्रपोजल लगभग तैयार है। संभव है कि कर्मियों और पेंशनरों को अक्तूबर की सेलरी में डीए/डीआर की दरों में बढ़ोतरी का असर नजर आएगा। पिछले साल केंद्रीय कैबिनेट ने 28 सितंबर को डीए की दरों में चार फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी। चूंकि गत वर्ष 24 अक्तूबर को दिवाली थी, इसलिए सरकार ने सितंबर के आखिरी सप्ताह में डीए/डीआर की घोषणा थी। इस बार दीवाली 12 नवंबर की है। ऐसे में अब किसी भी वक्त कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों का कहना है कि भले ही सरकार ने संसद में आठवें वेतन आयोग के गठन से मना किया है, लेकिन जनवरी 2024 के बाद लोकसभा चुनाव से पहले आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी जाएगी।
2013 में गठित हुआ था सातवां वेतन आयोग
लगभग एक करोड़ कर्मचारियों और पेंशनरों को पहली जुलाई से 4 फीसदी डीए वृद्धि की सौगात मिलेगी। पिछले दिनों राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक में भी यह मुद्दा उठ चुका है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार के मुताबिक, इस बार कर्मियों का डीए 46 प्रतिशत हो जाएगा। केंद्र सरकार, डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी करेगी। रक्षा क्षेत्र के ही एक अन्य कर्मचारी संगठन के महासचिव का कहना था कि सातवां वेतन आयोग 2013 में गठित हुआ था। उसकी सिफारिशें 2016 से लागू हुई थी। उस हिसाब से अगले वेतन आयोग की सिफारिशें 2026 से लागू होनी हैं। ऐसे में अभी सरकार के पास पर्याप्त समय है। अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी जाएगी। इसके अलावा जनवरी 2024 में जब डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी (संभावित) होगी और महंगाई भत्ता 50% हो जाएगा तो केंद्र सरकार को नए वेतन आयोग की घोषणा करनी पड़ेगी।
गत वर्ष दीवाली से पहले मिला था डीए/डीआर
केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले साल 28 सितंबर को डीए की दरों में चार फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी। केंद्र सरकार के कर्मियों और पेंशनरों को दीवाली से पहले महंगाई भत्ता एवं महंगाई राहत का तोहफा मिल गया था। वह भत्ता पहली जुलाई 2023 से जारी हुआ था। उस वक्त 34 प्रतिशत की दर से मिल रहा महंगाई भत्ता 38 प्रतिशत हो गया था। उसके बाद जनवरी 2023 से उक्त भत्ते में दोबारा से चार फीसदी की वृद्धि हो गई। मौजूदा समय में महंगाई भत्ता, 42 प्रतिशत की दर से मिल रहा है। अगर जुलाई 2023 से बढ़ने वाले भत्ते में भी चार प्रतिशत की वृद्धि होती है और जनवरी 2024 में भी इसमें चार फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज होती है तो उस वक्त डीए वृद्धि का ग्राफ पचास फीसदी हो जाएगा। सातवें वित्त आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर ऐसा होता है तो बाकी के भत्ते भी स्वत: ही 25 प्रतिशत बढ़ जाएंगे। वेतन का ढांचा भी बदल जाएगा।
यह तो पीरियोडिकल भी हो सकता है
सी. श्रीकुमार बताते हैं, संसद में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की कोई योजना नहीं है। केंद्र सरकार इस संदर्भ में विचार नहीं कर रही। सातवें वेतन आयोग ने सिफारिश की थी कि केंद्र में ‘पे’ रिवाइज हर दस साल में ही हो, यह जरुरी नहीं है। इस अवधि का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। यह पीरियोडिकल भी हो सकता है। हालांकि पे कमीशन ने इसकी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी है कि कब और कितने समय बाद वेतन आयोग गठित होना चाहिए। कुछ माह बाद डीए 50 प्रतिशत के पार होने जा रहा है। ऐसे में नए डीए और एचआरए की संभावना बनना तय है। पिछला वेतन आयोग 2013 में गठित हुआ था। उसके तीन साल बाद आयोग की सिफारिशें लागू हुई। उस हिसाब से 2026 में वेतन रिवाइज होना चाहिए।
देश में प्रति व्यक्ति आय 111 प्रतिशत बढ़ी
संसद में इस मुद्दे पर जो सवाल जवाब हुए हैं, उनमें कहा गया है कि जनवरी 2016 से जनवरी 2023 के बीच में कर्मियों के वेतन और पेंशन में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस अवधि के दौरान देश में प्रति व्यक्ति आय 111 प्रतिशत बढ़ी है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सदन में बताया था कि मुद्रा स्फीति के कारण वेतन और पेंशन के असली मूल्य में जो कटौती होती है, उसे पूरा करने के लिए डीए/डीआर दिया जाता है। अब डीए 42 प्रतिशत हो गया है। प्रति व्यक्ति आय तीन गुणा हो गई। इसके साथ वस्तुओं के दाम भी उसी अनुरुप में बढ़े हैं। मतलब, केंद्र सरकार के कर्मी कम वेतन पर काम कर रहे हैं। पिछले तीन वेतन आयोगों की तरफ से कहा गया है कि जब डीए 50 प्रतिशत तक पहुंच जाए तो मुद्रा स्फीति के प्रभाव को कम करने के लिए भविष्य में पे रिवाइज किया जाए। जनवरी 2024 में डीए 50 के पार हो जाएगा। अब सरकार कह रही है कि वेतन आयोग गठित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
जुलाई में सीपीआई की दर 7.44 प्रतिशत रही है
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2023 (अनंतिम) में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर महंगाई के अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की दर 7.44 प्रतिशत रही है। जून 2023 (अंतिम) में संयुक्त सीपीआई दर 4.87 प्रतिशत थी। जुलाई 2022 में यही संयुक्त दर 6.71 प्रतिशत थी। जुलाई 2023 (अनंतिम) में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) की संयुक्त दर 11.51 थी, जबकि जून 2023 (अंतिम) में संयुक्त सीएफपीआई दर 4.55 प्रतिशत थी। जुलाई 2022 में संयुक्त सीएफपीआई दर 6.69 प्रतिशत थी।
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