बदायूं। परिषदीय विद्यालयों में कंपोजिट ग्रांट से कराए गए कार्यों का सत्यापन इस बार शासन से गठित टीम करेगी। अब तक जिलास्तरीय अधिकारी ही कार्यों का सत्यापन करते थे। चूंकि कंपोजिट ग्रांट में घपला होने की शिकायतें शासन स्तर तक पहुंचती रही हैं, इसलिए यह कदम उठाया गया है। कुछ वर्षों पहले तक परिषदीय
विद्यालयों की स्थिति बेहद खराब थी। महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरन आनंद ने स्कूलों के भौतिक परिवेश में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। वर्ष 2018-19 से कंपोजिट ग्रांट की धनराशि स्कूलों को दी जाने लगी। शासन ने निर्देश दिए कि स्वीकृत धनराशि में से 10 प्रतिशत स्वच्छता के कार्यों पर खर्च की जाए, बाकी विद्यालयों में विकास कार्य कराने पर खर्च की जाए।
शासन का मानना है कि यदि कंपोजिट धनराशि का ठीक तरह से सदुपयोग किया जाता तो निश्चित तौर पर परिषदीय स्कूलों की स्थिति आज कुछ और होती, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। जाहिर है कि कंपोजिट ग्रांट की धनराशि से होने वाले कार्यों में घपला किया जा र 1 है। जिला स्तर पर टीमों के सत्यापन में मात्र औपचारिकता निभाई जाती है। शासन वर्ष 2018-19 से अब तक दी गई धनराशि से हुए कार्यों का सत्यापन अपने स्तर से गठित टीमों से कराएगा।
शासन विद्यालयों की दशा सुधारने के लिए कंपोजिट ग्रांट के तहत धनराशि देता है। इस धनराशि से प्रधानाध्यापक काम कराते हैं। पहले इसकी जांच जिला स्तर पर ही होती है, लेकिन अब शासन की टीम सत्यापन करेगी। स्वाती भारती, बीएसए