नवंबर माह शुरू हो चुका है लेकिन अभी तक सरकारी स्कूलों के 20 प्रतिशत अभिभावकों को भी डीबीटी के जरिए यूनिफॉर्म व स्वेटर के लिए धनराशि नहीं मिल सकी है। इस कारण से प्रत्येक जिले में काफी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो बिना यूनिफॉर्म के स्कूल जा रहे हैं और उनके स्वेटर तक का कोई पता नहीं है। जिम्मेदार अधिकारियों को शायद कड़ाके की ठंड का इंतजार है।
वहीं कई जनपदों में डीबीटी के जरिए दूसरे चरण का बजट नवंबर माह में भी नहीं पहुंचा है। आकड़ों पर गौर करें तो प्रत्येक विद्यालय में औसतन 100 बच्चों में 20 ऐसे बच्चे हैं जिनके अभिभावकों के खाते हमें धनराशि नहीं पहुंची है। मौजूदा समय में लखनऊ सहित सभी 75 जिलों में 1.92 करोड़ बच्चे बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। इस तरह 38 लाख 40 बच्चों को अभी स्वेटर और यूनिफॉर्म, स्कूल बैग व जूता मोजा के लिए इंतजार करना होगा। ये धनराशि अभिभावकों के खाते में कब पहुंचेगी, इसका भी कुछ पता नहीं है।
बता दें कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे के अभिभावक के खाते में हर साल 1200 रुपये की धनराशि दी जाती है। इसके लिए अभिभावकों का सही ब्योरा व खाता संख्या, आधार कार्ड सहित सभी मानक पूरे कराने की जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है। इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि सर्दी शुरू हो चुकी है, इसे ध्यान में रखते हुए जिन बच्चों के अभिभावकों के खाते में अभी तक डीबीटी का पैसा नही आया है उनके लिए तत्काल व्यवस्था की जानी चाहिए।
वहीं राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के लखनऊ मंडल अध्यक्ष महेश मिश्रा ने बताया कि प्रत्येक विद्यालय में 25 प्रतिशत ऐसे बच्चे हैं जिनके अभिभावकों के खाते में बजट नहीं मिला है। इस स्थिति में बच्चों के लिए सामग्री नहीं खरीदी जा सकी है नंवबर माह शुरू हो चुका है विभाग को ध्यान देना चाहिए।
प्रधानाध्यापकों से अभिभावक कर रहे बहस
जिन बच्चों के अभिभावकों को आनलाइन खाते में बजट नहीं मिला है वह आये दिन प्रधानाध्यापको से बहस कर रहे हैं और अपनी शिकायत दर्ज करवा रहे हैं। इस संबंध मैं खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से विभाग को लगातार शिकायतें भी भेजी जा रही हैं लेकिन इस पर कुछ अमल नहीं हो सका है। शिक्षक बताते हैं कि कई अभिभावक तो उनसे विद्यालय आकर लड़ने तक लगते हैं।
मई-जून तक मिल जाना चाहिए था
सभी जिलों में समीक्षा की जा रही है, खामियां पाई जाने पर दूर किया जाएगा। -डॉ. महेंद्र देव, बेसिक शिक्षा निदेशक, उत्तर प्रदेश
इस तरह लेनी होती है सामग्री
• दो जोडी यूनिफार्म के लिए 600 रुपये
स्वेटर के लिए 200 रुपये
जूते-मोजे के लिए 125 रुपये
• स्कूल बैग के लिए 175 रुपये
● स्टेशनरी के लिए 100 रुपये
वैसे तो विद्यालयों में नया शैक्षिक सत्र 1 अप्रैल से हर साल शुरू होता है। लेकिन डीबीटी • के जरिए अभिभावकों के खाते में यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूता-मोजा, स्कूल बैग व स्टेशनरी का बजट मई जून में अभिभावकों के खाते में पहुंच जाना चाहिए। आधा सत्र बीत चुका है और नवंबर माह शुरू हो चुका है लेकिन अभी तक बजट न मिलने से अभिभावक अपने बच्चों को स्वेटर व यूनिफॉर्म नहीं दिला पा रहे हैं।