बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित प्राइमरी और जूनियर विद्यालयों में अर्धवार्षिक परीक्षाएं बिना बजट के आयोजित हो रही हैं। बजट न मिलने से बच्चों के लिए न तो कॉपी पहुंच सकी हैं न ही प्रश्नपत्र। हालात ये हैं कि अभी तक जो परीक्षा आयोजित हुई उसमें शिक्षकों ने बोर्ड पर प्रश्न लिखे हैं। वहीं कॉपियां शिक्षकों ने अपने पास से खरीदकर दी है। ये शिकायत केवल लखनऊ की ही नहीं है। बल्कि अधिकांश जनपदों की है।
लखनऊ मंडल में आने वाले सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर, उन्नाव, रायबरेली की एक ही जैसी स्थिति है। इसी तरह से राजधानी के बगल में मौजूदा बाराबंकी जिले में भी बजट नहीं भेजा गया है। इस बारे में शिक्षकों का कहना है कि खुलकर यदि बोलो तो दूसरे दिन कार्रवाई हो जाती है। लेकिन जो हालात हैं उस पर अधिकारी ध्यान नहीं देते
परीक्षा के बाद बजट का भी नहीं पता चलता : स्कूलों में तैनात वरिष्ठ शिक्षक बताते हैं कि ये हर साल का है। किसी तरह से परीक्षा हो जाती है। परीक्षा में शिक्षक अपने पास से कॉपी की व्यवस्था करते हैं लेकिन परीक्षा होने के बाद भी बजट नहीं दिया जाता है। बाद में ये बजट कहां चला जाता है इसका भी कुछ पता नहीं चलता है
कंपोजिट ग्रांट नहीं है स्कूलों में : वहीं इस बारे में प्राथमिक
शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष कहते हैं कि अर्ध वार्षिक परीक्षा कराने के लिए कोई भी बजट जारी नही किया गया, और न ही इस बार कंपोजिट ग्रांट जारी की गई । और ये भी नही बताया गया कि किस मद से परीक्षा कराई जाए, जिस कारण प्रधानाध्यापक / इंचार्जों ने अपने पास से खर्च कर परीक्षा कराई। बजट जल्द जारी किया जाने की जरूरत है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में लखनऊ सहित अलग- अलग जनपदों के बेसिक शिक्षा अधिकारी कहते हैं कि यदि किसी कारण से स्कूलों में परीक्षा प्रभावित न हो इसके लिए प्रधानाध्यापक अन्य मदों का उपलब्ध बजट का प्रयोग कर सकते हैं। पूरी व्यवस्था देखने की जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारियो की भी होती है।