•सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में शौचालय उपलब्ध कराने का राष्ट्रीय माडल सुनिश्चित करने को कहा
कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने याचिका दाखिल कर लड़कियों के लिए अलग शौचालय की मांग की है
स्कूलों में सैनेटरी नैपकिन बांटने और उसके निस्तारण के बारे में राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार हो चुका है। इस बात की जानकारी सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दी गई।
सरकार ने कोर्ट से चार सप्ताह का समय मांगते हुए कहा कि तैयार नैपकिन मसौदे पर सभी हित धारकों और सरकार आम जनता की राय आनी है। कोर्ट अंतिम ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह का राज्य समय देते हुए निर्देश दिया कि वह योजनाओं सभी सरकारी और सहायता प्राप्त बाद एक स्कूलों में लड़कियों के लिए उनकी निर्देश संख्या के अनुपात में शौचालय चंद्रचूड़ का राष्ट्रीय माडल उपलब्ध कराना सदस्यीय सुनिश्चित करे। कोर्ट ने सैनेटरी ठाकुर की
वितरण योजना पर केंद्र से कहा कि वह नीति को रूप देने से पहले विभिन्न सरकारों की इस बारे में लागू को भी देखे और उसके समग्र नीति बनाए। ये प्रधान न्यायाधीश डीवाई की अध्यक्षता वाली तीन पीठ ने कांग्रेस नेता जया याचिका पर सुनवाई के
दौरान सोमवार को दिए। जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मासिक धर्म स्वच्छता का मुद्दा उठाते हुए स्कूलों में छह से 12 कक्षा ने में पढ़ने वाली छात्राओं को सैनेटरी नैपकिन बांटने और लड़कियों के लिए अलग शौचालय के निर्माण की मांग की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि मासिक धर्म स्वच्छता की व्यवस्था न होना लड़कियों की शिक्षा में एक बड़ी बाधा है। बहुत सी लड़कियां मासिक धर्म की स्वच्छता के लिए सैनेटरी नैपकिन और अलग शौचालय नहीं होने के कारण स्कूल छोड़ देती हैं। सोमवार को जब मामला सुनवाई पर आया तो केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि स्कूलों में
सैनेटरी नैपकिन बांटने और उसके निस्तारण के बारे में राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार हो गया है। वकील कोर्ट से चार सप्ताह का और समय मांगते हुए कहा कि उस पर सभी हित धारकों और आम जनता की राय आनी है। कोर्ट ने अनुरोध स्वीकारते हुए केंद्र को चार सप्ताह का समय दे दिया। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार नीति को अंतिम रूप देने से पहले विभिन्न राज्यों में सैनेटरी नैपकिन स्कूलों में बांटने की योजनाओं को भी देख ले ताकि एक समग्र राष्ट्रीय नीति तैयार हो । जया ठाकुर द्वारा पेश वरिष्ठ वकील विभा दत्त मखीजा ने कोर्ट से स्कूलों में ढांचागत सुविधाएं और लड़कियों के अलग शौचालय का मुद्दा उठाया।