लखनऊ, । वाराणसी के संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय और वाराणसी नगर निगम में नियुक्ति कराने का झांसा देकर 16 लोगों से करीब 85 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। आरोपियों ने रुपये लेने के बाद फर्जी नियुक्ति पत्र भी जारी किए थे। पीड़ित ज्वाइनिंग लेटर लेकर संबंधित विभाग पहुंचे, तब उन्हें धोखाधड़ी का पता चला। पीड़ितों ने डीसीपी मध्य अपर्णा रजत कौशिक से मुलाकात कर घटना की जानकारी दी। उनके निर्देश पर हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है।.
रुपये दे दो नौकरी तो हम लगवा ही देंगे अलीगंज निवासी अमित कुमार की पहचान गाजीपुर बहरियाबाद निवासी श्याम कुमार दुबे उर्फ बाबा से थी। मुलाकात के दौरान आरोपी ने शासन में बड़े अफसरों से सम्पर्क होने का दावा किया। उसके मोबाइल में भी कई लोगों के साथ फोटो थी। उसे देख कर अमित प्रभाव में आ गया।
श्याम कुमार ने बताया था कि वाराणसी नगर निगम और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नियुक्तियां होनी हैं। मेरे परिचित हैं, जिनकी मदद से नौकरी मिल जाएगी। मगर रुपये खर्च करने होंगे। अमित की तरह शिवा भारती, सुरेश कुमार, वरुण कुमार, अनुराग सिंह, आदर्श सिंह, अवधेश कुमार, खुशबू, बृजेश प्रजापति, सोनू कुमार, रविंद्र कुमार, संदीप कुमार, दिनेश निषाद, राजेश कुमार, विनय कुमार और रामकेश मौर्य से भी आरोपी ने नौकरी लगवाने की बात कही थी। उसका दावा था कि तुम लोग रुपये दो मैं चंद दिनों में ही नियुक्ति करा दूंगा।
क्लर्क, हेड क्लर्क, चतुर्थ श्रेणी कर्मी के जारी किए थे फर्जी नियुक्ति पत्र
● तीन साल पहले हुई धोखाधड़ी में तहरीर के बावजूद नहीं हुआ केस
किसी को क्लर्क तो किसी को चपरासी का नियुक्ति पत्र भी दे दिया
पीड़ितों के मुताबिक श्याम दुबे उर्फ बाबा ने 16 लोगों से करीब 85 लाख रुपये लिए, जिसके बाद सभी को नियुक्ति पत्र भी दिए गए। दिसंबर 2020 में पीड़ित संबंधित विभागों में ज्वाइनिंग के लिए पहुंचे। जहां फर्जीवाड़ी किए जाने का पता चला। श्याम दुबे से रुपये वापस मांगने पर आरोपी धमकाने लगा। पीड़ितों ने कई बार तहरीर दी, जिस पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। कुछ दिन पूर्व डीसीपी मध्य अपर्णा रजत कौशिक के कार्यालय पहुंचकर अमित और साथियों ने आपबीती बताई। डीसीपी ने मामले की जांच एसीपी हजरतगंज अरविंद वर्मा को दी, जिसमें आरोप सही पाए जाने पर मुकदमा दर्ज किया गया।