प्रधानाचार्यों से प्रमाण पत्र मांगने और एनपीएस पासबुक का रखरखाव करने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक के निर्देश अब उलटे पड़ने लग गए हैं। मंगलवार को दिगंबर जैन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ने पत्र भेज कर कई सवाल खड़े किए हैं।
जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार पाण्डेय ने 23 नवम्बर को अनुदानित कॉलेजों को पत्र के माध्यम से निर्देश दिए थे कि यह प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएं कि किसी भी शिक्षक एवं शिक्षणेतर कर्मचारी की एनपीएस पासबुक के रखरखाव का कार्य लम्बित नहीं है एवं एनपीएस की धनराशि शासन द्वारा निर्धारित डिफाल्ट आप्शन (एसबीआई, एलआईसी, यूटीआई) में ही निवेश हो रही है।
दिगंबर कॉलेज के प्रधानाचार्य ने भेजा पत्र दिगंबर जैन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य आशुतोष पांडे ने डीआईओएस को पत्र भेजा है। इसमें लिखा है कि शासनादेश 24 दिसंबर 2016 के प्रस्तर-3 में स्पष्ट किया गया है कि- 4(3) माध्यमिक शिक्षण संस्थाओं में जिला विद्यालय निरीक्षक अभिदाता अंशदान के डेटाबेस के रखरखाव तथा अभिदाता अंशदान फाइल एनपीएससीएन में अपलोड करने के लिए उत्तरदायी होंगे तथा वित्त नियंत्रक, माध्यमिक शिक्षा राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे। पत्र के माध्यम से बताया है कि डेटाबेस के रखरखाव तथा अविदाता अंशदान फाइल एनपीएससीएन में अपलोड कराने का कार्य आप अर्थात आहरण वितरण अधिकारी द्वारा कराया गया है। अधोहस्ताक्षरी को नहीं मालूम कि एनपीएस की धनराशि किस बैंक में, कब-कब और कितनी निवेश की गई? ऐसे में अधोहस्ताक्षरी द्वारा प्रकरण में किसी प्रकार का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना सम्भव नहीं है। प्रधानाचार्य ने लिखा है कि समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि एनपीएस की धनराशि अभिदाताओं की सहमति के बिना प्राइवेट बैंक में निवेश की गई है। यह अविधिक कृत्य है जिससे शिक्षकों और कर्मचारियों में अपने भविष्य को लेकर चिन्ता है। इस सम्बन्ध में सभी शिक्षक कर्मचारी मुझसे पूछताछ कर रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि इस विद्यालय के छह शिक्षकों एवं दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन से एनपीएस के धनराशि की कटौती की जा रही है।