प्रयागराज, एडेड माध्यमिक विद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों के एनपीएस खाते से 80 करोड़ रुपये से अधिक की रकम मनमाने तरीके से निजी कंपनी में ट्रांसफर करने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय का एक और बड़ा कारनामा सामने आया है। इस बार सरकारी सहायता प्राप्त श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय कोरांव में फर्जी तरीके से नौ शिक्षकों की तदर्थ नियुक्ति कर दी गई। कायदे-कानून दरकिनार करते हुए डीआईओएस कार्यालय की मिलीभगत से एक-एक शिक्षक को 80-80 हजार रुपये से अधिक वेतन भी मिलने लगा।
एडेड संस्कृत महाविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से अनुमोदन के बाद प्रबंध समिति करती है। जबकि एडेड संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति डीआईओएस के अनुमोदन पर समिति के माध्यम से होती है। प्रदेश सरकार ने 2017 में ही महाविद्यालयों एवं माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। जालसाजों ने श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय में नौ शिक्षकों की नियुक्ति का विज्ञापन दो सितंबर 2021 को अप्रचलित समाचार पत्रों में प्रकाशित कराया और गुपचुप तरीके से 16 अक्तूबर 2021 को चयन दिखा दिया गया।
आश्चर्य की बात है कि 31 मार्च 1977 के शासनादेश में महाविद्यालय में प्रधानाचार्य के एक और अध्यापक व सहायक अध्यापक के तीन-तीन कुल सात पद ही स्वीकृत हैं लेकिन इसके विपरीत नौ पदों पर नियुक्ति कर दी गई। इन नौ शिक्षकों में से एक ऐसे शिक्षक की नियुक्ति हुई है जो कुछ समय पहले तक डीआईओएस कार्यालय में अवैध रूप से बाबुओं का काम करता था। यही नहीं महाविद्यालय में प्रबंधकीय विवाद के कारण 2020 से कोई प्रबंध समिति अस्तित्व में नहीं है। सहायक रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटीज एवं चिट्स प्रयागराज ने एक आरटीआई में स्वीकार किया है कि प्रबंधकीय विवाद के कारण कोई मान्य प्रबंधक नहीं है।
सवाल
● 2020 से महाविद्यालय में कोई प्रबंध समिति नहीं, तो कैसे हुई नियुक्ति
● सात पद के स्थान पर महाविद्यालय में नौ शिक्षकों का कैसे हुआ चयन
● डीआईओएस नहीं संपूर्णानंद संस्कृत विवि को अनुमोदन का अधिकार
श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय कोरांव में प्रबंध समिति ने शिक्षकों के रिक्त पदों पर तदर्थ नियुक्ति की थी। हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षकों का भुगतान हुआ है।
-पीएन सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक