बलरामपुर,
एक तरफ शासन परिषदीय बच्चों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। दूसरी ओर पांच साल पहले 22 उच्च प्राथमिक स्कूलों को निर्गत कंप्यूटर कहां हैं इसे बताने वाला कोई नहीं है। ऐसे में शासन का बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देने का दावा धरातल से कोसों दूर दिख रहा है।
सरकारी स्कूलों को हाईटेक बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग का प्रयास हवा हवाई साबित हो रहा है। जिले में 245 स्कूलों को स्मार्ट बनाने की तैयारी है। पांच साल पहले 22 जूनियर हाई स्कूलों को बेसिक शिक्षा विभाग से कंप्यूटर निर्गत किए गए थे जो शायद ही स्कूलों में मौजूद होंगे। वर्ष 2006-07 से वर्ष 2011-12 के बीच जिले के 114 परिषदीय विद्यालयों को कंप्यूटर दिए गए थे। अधिकांश विद्यालयों में बिजली कनेक्शन न होने से कंप्यूटर अध्यापकों के घरों पर धूल फांक रहे हैं। पूर्व में आवंटित कंप्यूटर की जांच दबाकर नए कंप्यूटर का बजट भी खर्च होने की चर्चा है। मौजूदा समय में कम्प्यूटर कहां हैं इसका जवाब जिम्मेदारों के पास नहीं है।
अधिकारी बदलते गए लेकिन अध्यापक एवं कंप्यूटर का पटल देख रहे संबंधित जिम्मेदार से कभी इसका हिसाब लेना विभाग ने मुनासिब नहीं समझा। जिले में सबसे अधिक छात्र संख्या वाले 22 जूनियर हाई स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर में निपुण बनाने के लिए 27 लाख रुपए विभाग से खर्च हुए लेकिन बच्चों को तकनीकी शिक्षा नसीब नहीं हो सकी। पहले विभाग ने जिले के 12 मानक विहीन पूर्व माध्यमिक विद्यालय का चयन कर कंप्यूटर के लिए 15 लाख रुपए का बजट निर्गत कर दिया। इसके बाद कम्प्यूटर लगाने के लिए 10 नए उच्च प्राथमिक विद्यालय और चयनित किए गए। इसके लिए विभाग को साढ़े 12 लाख रुपए मिले। अधिकांश विद्यालयों में कम्प्यूटर अनुदेशक की तैनाती एवं बिजली कनेक्शन न होने से निर्गत कम्प्यूटर या तो अध्यापकों के घरों की शोभा बढ़ा रहे हैं या स्कूल के किसी कोने में धूल फाक रहे हैं। इससे बच्चों को कंप्यूटर तालीम देने की मंशा सरकार की पूरी नहीं हो सकी।
बिजली कनेक्शन के बिना कंप्यूटर के लिए चयनित हुए स्कूल
बच्चों को कंप्यूटर की तालीम देने के लिए विभाग ने अधोमानक उच्च प्राथमिक विद्यालयों का चयन कर लिया जिसमें तुलसीपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय भंभरी में कंप्यूटर अनुदेशक न होने के बावजूद भी पांच साल से रखा कम्प्यूटर धूल फांक रहा है। उच्च प्राथमिक विद्यालय मिर्जापुर में चोरी होने से एक कंप्यूटर विद्यालय में न रखकर अन्यत्र रखने की बात की जा रही है। शिक्षा क्षेत्र हर्रैया सतघरवा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय देवपुरा को भी कंप्यूटर आवंटित हुआ था वहीं शिक्षा क्षेत्र गैंडास बुजुर्ग में उच्च प्राथमिक विद्यालय सोनहत में भी चोरी होने के दर से कम्प्यूटर अध्यापकों के घर रखे होने की बात कही जा रही है। ऐसे में बिना बिजली एवं कम्प्यूटर अनुदेशक की तैनाती के स्कूलों को कम्प्यूटर निर्गत कर दिया जाना कहीं न कहीं शासन के उद्देश्यों से हटकर कार्य होने की बात कही जा रही है।
कंप्यूटर के लिए चयनित हुए थे आधा दर्जन स्कूल
शासन से 2018-19 में जिले में 22 जूनियर हाई स्कूलों को कम्प्यूट आवंटित किया गया था। इनमें पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेल्हासा, जिगना घाट, सहजौरा शेखरपुर, तिसाह, सदाडीह, बरगदवा सेफ, भंभरी व गैंड़हवा पहले चरण में चयनित थे। उसके बाद द्वितीय चरण में उच्च प्राथमिक विद्यालय देवपुरा, बहादुरगंज, गंगाडीह, परसा पलईडीह, अजब नगर, रसूलाबाद, बरदौलिया, मिर्जापुर, एवं आबर आदि जूनियर हाई स्कूल शामिल हैं। तत्कालीन बेसिक शिक्षाधिकारी हरिहर प्रसाद निर्धारित तिथि के भीतर सूचना नहीं दे पाए, जिस पर सूचना आयुक्त ने पूरी जानकारी देने की हिदायत दी थी। उनके रिटायर होने के बाद मामला ठंडा बस्ते में डाल दिया गया। ऐसे में जिले के परिषदीय बच्चों को कम्प्यूटर की तालीम पाना आसान नहीं दिख रहा है।
विद्यालयों को निर्गत कम्प्यूटर के संबंध में संबंधित पटल सहायक से जानकारी ली जाएगी। जिन विद्यालयों में कम्प्यूटर नहीं हैं वहां कम्प्यूटर उपलब्ध कराए जाएंगे। बच्चों को शासन के मंशानुरूप तकनीकी शिक्षा का लाभ प्रत्येक दशा में दिया जाएगा। विभाग का पूरा प्रयास है कि बच्चों को शिक्षा के साथ कम्प्यूटर में तालीम मिल सके।
कल्पना देवी, बीएसए बलरामपुर