रायबरेली
। परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की 20 नवंबर से ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज होने जा रही है। महानिदेशक की तरफ से दिए गए इस आदेश का विरोध शिक्षकों में शुरू हो गया है। बिना सुविधाओं के जबरदस्ती थोपी जा रही इस व्यवस्था का निजी फोन से ऑनलाइन काम न करके विरोध करने जा रहा है। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने महानिदेशक को पत्र देकर इस आदेश के बहिष्कार की घोषणा की है। उसी क्रम में अब जिले में भी शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व जिला सरंक्षक समर बहादुर सिंह और जिलाध्यक्ष राघवेंद्र यादव ने बताया कि महानिदेशक की तरफ से 10 नवंबर
को पत्र जारी करके प्रदेश के सात जनपदों में 20 नवंबर से विद्यालय स्तर पर व्यवहत 12 पंजिकाओं को डिजिटाइजेशन करने और आनलाइन उपस्थिति देने का निर्देश प्रदान किया गया है। इस संबंध में शिक्षकों को किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया है और न ही पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। कुछ विद्यालयों में टैबलेट तो दिए गए हैं परंतु उनको चलाने के लिए सिम भी प्रदान नहीं किया गया है। जिला महामंत्री सियाराम सोनकर ने बताया कि विभाग ने फिर से 16 नवंबर को पत्र जारी करके कंपोजिट ग्रांट मद से सिम क्रय किए जाने का आदेश भी दिया गया है। लेकिन विभाग की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि यह सिमकॉर्ड किसके नाम रहेगा और आईडी किसकी लगेगी। जिन विद्यालयों को टैबलेट नहीं दिया गया है उन विद्यालय के शिक्षकों को अपने अपने मोबाइल से अपनी उपस्थिति
प्रेषित करने तथा पंजिकाओं के डिजिटाइजेशन का निर्देश दिया गया है, जो कि पूर्णतया अव्यावहारिक है। कोषाध्यक्ष शिवशरण सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी ने महानिदेशक को पत्र देकर इस आदेश के बहिष्कार की घोषणा की है। उन्होंने यह कहा है कि हम अपने निजी मोबाइल, निजी सिम, निजी डेटा से अपनी उपस्थिति नहीं देंगे, साथ ही पूरे प्रदेश के शिक्षकों से यह अपील भी किया है कि सभी शिक्षक एकजुट होकर इस आदेश का बहिष्कार करें। उन्होंने कहा कि प्रान्तीय नेतृत्व के आह्वान पर अपने मान सम्मान तथा स्वाभिमान की रक्षा के लिए एकजुट होकर इस आदेश का पूर्ण बहिष्कार करें। हम सब यह संकल्प व्यक्त करें कि पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षण मिले बिना तथा हमारी जायज मांगी पूरी होने तक इस व्यवस्था को कदापि स्वीकार नहीं करेंगे।