राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार को न्यायपालिका में प्रतिभाशाली युवाओं का चयन करने और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन का सुझाव दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि खर्च और भाषा न्याय चाहने वाले नागरिकों के लिए बाधाएं हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि न्याय तक सभी की पहुंच में सुधार के लिए संपूर्ण प्रणाली को नागरिक-केंद्रित बनाने की आवश्यकता है।
मुर्मु ने कहा कि न्यायपालिका का स्थान संवैधानिक ढांचे में अद्वितीय बना हुआ है। यह खुले दिल से विविधता का स्वागत करती रही है। न्यायपालिका में अधिक विविधता होने से निश्चित रूप से न्याय के उद्देश्य को बेहतर ढंग से पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, विविधता की इस प्रक्रिया को तेज करने का एक तरीका ऐसी प्रणाली का निर्माण हो सकता है, जिसमें योग्यता आधारित, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न पृष्ठभूमियों से जजों की भर्ती की जा सके। अखिल भारतीय
न्यायिक सेवा का सृजन करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जो प्रतिभाशाली युवाओं का चयन और उनकी प्रतिभा को निखारने का काम कर सकती है। मुर्मु ने कहा, राष्ट्रपति बनने के बाद मुझे मुझे कई केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों, आइआइटी व आइआइएम सहित अन्य संस्थानों का दौरा करने का मौका मिला। मैं बहुत भाग्यशाली हूं, क्योंकि मैं वहां के बच्चों के साथ बात करती हूं।