बीएड प्रकरण
भर्ती निकालने के बाद सरकार ने नियमावली में 23rd और 24th संशोधन करके बीएड वालों को भर्ती में शामिल किया हालाँकि इस तर्क को जस्टिस ललित ने ये कहकर ख़ारिज कर दिया कि जिस दिन से केंद्र नियम को लागू किया तो उस दिन से ही बीएड वैध है पूर्वगामी और आगामी का कोई मतलब नही है।
आज की स्थिति में NCTE के संशोधन को ही ख़ारिज कर दिया है जिस पर सरकार के 23,24 और 25 संशोधन टिके थे।
NCTE नोटिफ़िकेशन आया 28.06.2018 को, भर्ती निकली 01.12.2018 को कि ARTE recruitment होगा और उसके लिए supertet होगा, 05.12.2018 को सचिव प्रयागरज ने विज्ञप्ति जारी की, 06.01.2019 को परीक्षा हुई, 23rd amendment BEd को शामिल किया और 25th amendment से न्यूनतम अहर्ता में बीएड भी आया क्रमशः 24.01.2019 और 07.03.2019 को।
इस बीच राम शरण मौर्य में ये कहकर बीएड को शामिल किया कि यहाँ issue ये है ही नही, NCTE जो कि parental body है उसने नोटिफ़िकेशन में न्यूनतम अहर्ता में बीएड को रखा है तो सरकार द्वारा किया गया 25th amendment सही है और ब्रिज कोर्स के लिए भी बात कही।
एक सप्ताह बाद देवेश शर्मा का निर्णय आता है जिसमें NCTE का नोटिफ़िकेशन जिसको जस्टिस ललित affirm किये थे उसको राजस्थान उच्च न्यायालय ने quash कर दिया और बीएड के ब्रिज कोर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीधा कहा है कि ये higher education impart करने के लिए है इसलिए NCTE जो कि स्वयं ब्रिज कोर्स को करवाकर इन्हें ट्रेनिंग देना चाहती है वो समझ से बाहर है।
देवश शर्मा के सर्वोच्च न्यायालय के जजमेंट से भर्ती पहले हो चुकी है ये ध्यान रखा जाए ।
एक bylaws है सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के बाद ही कि प्रक्रिया किसी भी notification पर पूर्ण होती है और बाद में वो नोटिफ़िकेशन क्वाश हो जाता है तो उस प्रक्रिया पर कोई असर नही पड़ेगा लेकिन एक जजमेंट और भी है इस पर कि अगर मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा हो तो प्रक्रिया भी ख़ारिज करके ख़त्म मानी जाए। अब इसमें दोनों बातें हैं NCTE के नोटिफ़िकेशन से DElEd वालों के अधीयकरों से लेकर 21A भी पीसा गया है और इधर अब livelihood भी आ रहा है बीएड अभ्यर्थियों का।
देवेश शर्मा तो quash होने से रहा क्योंकि दो नहीं तीन जजों की पीठ का निर्णय है जो confirm हो चुका है।