केंद्र सरकार के दूत धर्माचार्यों से भेंट कर श्रीराम के जीवन प्रसंग से जुड़ी निर्णायक तिथियां संकलित करने में जुटे
राममंदिर निर्माण और उसमें रामलला का विग्रह स्थापित करने की तैयारियों के बीच केंद्र सरकार श्रीराम से जुड़े पाँ पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि धर्माचार्यों से संपर्क कर रहे हैं। रामलला के विग्रह की स्थापना (22 जनवरी 2024) एवं राममंदिर के भूमि पूजन (पांच अगस्त 2020) की भी तारीख श्रीराम की विरासत से जुड़े संभावित अवकाशों की सूची में शामिल किए जाने की संभावना है।
सरकार के दूत श्रीराम की विरासत एवं परंपरा के मर्मज्ञ चुनिंदा धर्माचार्यों से भेंट कर श्रीराम के जीवन प्रसंग से जुड़ी निर्णायक तिथियां संकलित कर रहे हैं। यद्यपि चैत्र शुक्ल नवमी के दिन ‘राम जन्मोत्सव’, क्वार शुक्ल दशमी के दिन श्रीराम द्वारा रावण के वध का पर्व ‘विजय दशमी’ एवं कार्तिक अमावस्या के दिन लंका विजय के बाद श्रीराम के अयोध्या लौटने पर उल्लास का पर्व ‘दीपावली’ पहले ही राष्ट्रीय अवकाश घोषित है। समझा जाता है कि इस दिशा में नए अभियान के तहत अगहन शुक्ल पंचमी को पड़ने वाले सीता-राम विवाहोत्सव की तिथि भी राष्ट्रीय अवकाश के रूप में शिरोधार्य हो सकती है। श्रीराम के साथ रामनगरी को शिरोधार्य करने वाले महापर्व चौदहकोसी एवं पंचकोसी परिक्रमा के अवसर पर भी राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर सरकार श्रीराम के प्रति अदम्य आस्था का परिचय दे, तो कोई आश्चर्य नहीं। रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन तथा पंचकोसी परिक्रमा कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन होती है। पांच अगस्त तो श्रीराम के प्रति आस्था के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऐतिहासिक प्रयासों की परिचायक भी है। सरकार के दूत जिन चुनिंदा धर्माचार्यों के संपर्क में हैं, उनमें प्रतिष्ठित रामकथा मर्मज्ञ जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य भी शामिल हैं। सरकार के प्रयास का स्वागत करते हुए उन्होंने बताया कि श्रीराम से संबद्ध सारी तिथियां लोक मानस में स्थापित होनी ही चाहिए।