प्रमोशन, स्थानांतरण और समस्या ~
किसी भी प्रक्रिया जैसे नियुक्ति, स्थानांतरण और पदोन्नत्ति होती है उसको पूर्ण करने के लिए पद सृजित किये जाते हैं या पूर्व में पदों का सृजन हुआ हो उस पर प्रक्रिया होती है ।
स्थानांतरण की guidelines में बिंदु न० 4 पर सृजित पदों के सापेक्ष जनपद में कार्यरत अध्यापकों का दस फ़ीसदी और जनपद में स्थानांतरण से आने जाने वालों की संख्या भी दस फ़ीसदी से अधिकतम नहीं कही गई थी लेकिन अब यहाँ ये पुनः फँस गए हैं। जब इन्होंने स्थानांतरण किये तो डेटा किसी भी समय हुए पद सृजन का नहीं करवाया लेकिन अब प्रमोशन के समय वर्ष 2011 में हुए पद सृजन के सापेक्ष रिक्तियाँ माँगी जा रही हैं जबकि स्थानांतरण के समय इन्होंने किसी भी बेसिक शिक्षा अधिकारी से कोई डेटा नहीं माँग और PS में लगभग बारह और UPS में लगभग पैंतालीस जिले शून्य कर दिये।
सभी लोग सोचें कि ये घोटाला कैसे हुआ क्योंकि अब जब जनपद वार रिक्तियाँ आएँगी तो कोर्ट पूछेगी नही कि सृजित पदों का आपने कौन सा डेटा लिया और मुझे याद नहीं इस सरकार में कोई पद सृजन भी हुआ क्योंकि नियुक्तियाँ केवल पुरानी सरकार द्वारा सृजित किये गए पदों पर हुई हैं।
जहाँ तक मेरी जानकारी है UPS में वर्ष 2011 में ही पदों का सृजन हुआ था और उसी के अनुरूप रिक्तियाँ एक बार गणित विज्ञान की सीधी भर्ती से और कुछ शिक्षा मित्रों के लिये रिक्तियाँ बनाने के लिए प्रमोशन से ।
अब ये तो देखना होगा दो दिन पश्चात कि वर्ष 2011 में सृजित पदों के सापेक्ष ये कितनी रिक्तियाँ लाते हैं और आज जो रिक्तियाँ ये जो दिखा रहे हैं वे छात्र शिक्षक अनुपात पर आधारित है जिसका कोई मतलब नही है।
दूसरा TET का मुद्दा ~
जहाँ तक है इस सरकार में कोई भी कार्य सकारात्मक तो हुआ नही है इसलिए इनकी सोच क्या पता ये हो कि वर्ष 2011 के रिक्तियों के सापेक्ष 29.07.2011 (TET सम्पूर्ण रूप से लागू होने वाली तिथि) से पूर्व के अभ्यर्थी ले लें कि फिर उन पर TET की अनिवार्यता नहीं रहेगी (2014 NCTE guidelines ही बाद में आइ हैं) तो यहाँ एक बात स्पष्ट कर दूँ आज अगर कोई भी प्रमोशन होगा तो NCTE की guidelines के अनुसार होगा इसके अलावा प्राथमिक के हेड के लिए होने वाला प्रमोशन भी TET binding है इस बात को स्पष्ट रूप से मद्रास उच्च न्यायालय के निर्णय में दे रखा है।
शेष सभी लोग इनके डेटा पर नज़र बनाये रखें।
धन्यवाद
हिमांशु राणा