लखनऊ। विकास कार्यों को रफ्तार देते हुए यूपी को वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में जुटी प्रदेश सरकार के लक्ष्य से विभाग तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 का आठ माह बीत जाने पर विकास मद (पूंजीगत व्यय) में आवंटित बजट का महज 39 फीसदी ही खर्च किया जा सका है। बचे हुए चार महीनों में 61 फीसदी धनराशि खर्च करने की चुनौती विभागों के सामने है।
बजट खर्च करने की गति धीमी होने पर सरकार और शासन ने विभागीय प्रमुखों को निर्देश दिए हैं कि आवंटित बजट से होने वाले कार्यों को तेजी से कराया जाए। विकास योजनाओं के मद में आवंटित बजट का शत प्रतिशत उपभोग चालू वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले दिखना चाहिए।
अनुपूरक के साथ 7.19 लाख करोड़ हो गया है यूपी का बजट इस वित्तीय वर्ष के मूल बजट और अनुपूरक बजट को मिलाकर कुल आकार 719003 करोड़ रुपये हो गया है। इसके सापेक्ष 30 नवंबर तक कुल 323033 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कि कुल बजट का 47 फीसदी है।
विकास कार्यों पर अब तक 73524 करोड़ हुए खर्च पूंजीगत व्यय (विकास कार्यों) के मद में 197603 करोड़ रुपये आवंटित है, जिसके मुकाबले कुल 73524 करोड़ रुपये खर्च किए जा सके हैं। खर्च की गई धनराशि कुल आवंटित बजट का महज 39 फीसदी है। कई विभागों की प्रगति निराशाजनक है।