, नई दिल्ली: विश्वविद्यालयों सहित देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में संचालित सभी कोर्सों को जल्द से जल्द नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के दायरे में लाने के लिए यूजीसी ने पहल तेज की है। इसके प्रभावी अमल के लिए आयोग ने एक मानक प्रक्रिया (एसओपी) भी तैयार की है। उसे अंतिम रूप देने से पहले विश्वविद्यालयों से इसे लेकर सुझाव मांगे गए है। क्रेडिट फ्रेमवर्क के प्रभावी अमल के लिए यूजीसी ने 13 सदस्यीय एक उच्चस्तरीय कमेटी भी गठित की है, जो फ्रेमवर्क के अमल से जुड़ी किसी भी दिक्कत में संस्थानों को सहयोग देगी।
यूजीसी ने यह पहल तब तेज की है, जब फ्रेमवर्क तैयार होने के बाद भी उच्च शिक्षण संस्थान इसके
एक क्रेडिट अंक के लिए करनी होगी औसतन 30 घंटे की पढ़ाई
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत तैयार किए क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत प्रत्येक कोर्स को क्रेडिट अंक के साथ जोड़ दिया गया है। इसके तहत तीन वर्षीय स्नातक कोर्सों के लिए जहां 120 क्रेडिट अंक जरूरी होंगे, वहीं चार वर्षीय स्नातक कोर्सों के लिए 160 क्रेडिट अंक जुटाने जरूरी होंगे। वहीं एक क्रेडिट अंक के लिए औसतन तीस घंटे की पढ़ाई करनी होगी।
अमल में रुचि नहीं दिखा रहे थे। हालांकि इसके पीछे बड़ी वजह इसके अमल से जुड़ी दिक्कतें थीं। हालांकि यूजीसी ने संस्थानों की दिक्कत को समझते हुए इसके अमल की एक मानक प्रक्रिया तैयार की है।