लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने छूटे हुए 32 जिलों को निर्देश दिया है कि वह निर्धारित समय में पदोन्नति की कार्यवाही पूरी कर सूची पोर्टल पर अपलोड करें। हालांकि शासन के निर्देश पर बीएसए भारी पड़ रहे हैं।
प्रदेश में बेसिक के विद्यालयों में चल रही पदोन्नति की प्रक्रिया फिलहाल पूरी होती नहीं दिख रही है। शासन की ओर से इसके लिए निर्धारित एक और तिथि बीत गई। किंतु अभी भी 32 जिलों की पदोन्नत शिक्षकों की सूची पोर्टल पर नहीं अपलोड की। वहीं सूची बनाने के आधार पर भी शिक्षकों की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं।
शासन ने पांच दिसंबर को प्रदेश के सभी बीएसए को जारी निर्देश में कहा था कि वह वरिष्ठता सूची जारी करते हुए 12 दिसंबर तक पात्रता के आधार पर खाली पदों पर पदोन्नति की जाएगी। पदोन्नत शिक्षकों की सूची 16 दिसंबर तक पोर्टल पर अपलोड करनी थी। शासन की ओर से दी गई एक यह तिथि भी बीत गई लेकिन अभी तक 43 जिलों ने ही सूची पोर्टल पर अपलोड की है।
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने छूटे हुए 32 जिलों को निर्देश दिया है कि वह निर्धारित समय में पदोन्नति की कार्यवाही पूरी कर सूची पोर्टल पर अपलोड करें। हालांकि शासन के निर्देश पर बीएसए भारी पड़ रहे हैं। खास यह कि फरवरी से चल रही इस प्रक्रिया के अब तक पूरा न होने पर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की कोई जिम्मेदारी नहीं तय की गई है।
*वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ बाराबंकी के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह ने कहा कि शिक्षकों की वरिष्ठता सूची तैयार करने का आधार कुछ जिलों में जन्मतिथि तो कुछ जगह पर नियुक्ति की तिथि ली गई है। टीईटी को लेकर कोई भी स्पष्टता नहीं की गई है। इसी तरह विभाग के अनुसार बाराबंकी में कोई भी पद खाली नहीं है लेकिन यहां की सूची अपलोड कर दी गई है। ऐसे में विभाग की प्रक्रिया में कुछ भी स्पष्टता नहीं है।*
शिक्षकों पर न दें अनावश्यक दबाव
उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने बेसिक विद्यालयों में फेस रिकग्निशन आधारित उपस्थिति को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश दीक्षित ने कहा है कि बेसिक शिक्षकों को अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर से प्रेरणा ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराना व्यवहारिक नहीं है। शिक्षकों को उनके निजी पहचान पत्र पर सरकारी सिम खरीदने का दबाव दिया जा रहा है। इस असंवैधानिक आदेश का जब शिक्षक विरोध कर रहा है जो समाज में उसकी नकारात्मक छवि प्रस्तुत की जा रही है। उन्होंने इस साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों में महिला शिक्षिकाओं की फोटो की सुरक्षा का भी मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की पदोन्नति, वेतन विसंगति, परस्पर तबादले, कैशलेश चिकित्सा सुविधा समेत एक दर्जन से अधिक मांगें लंबित हैं, इन पर कार्यवाई नहीं हो रही है।