नव गठित शिक्षा सेवा चयन आयोग पर उठे सवाल
प्रयागराज बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा के शिक्षण संस्थाओं में शिक्षक भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के नियमावली की अधिसूचना 13 दिसंबर को जारी कर दी गई है। प्रदेश में यह सबसे ज्यादा सदस्यों वाला आयोग है। जल्द ही अध्यक्ष और सदस्यों का चयन होगा। उसके बाद अन्य पदों पर अधिकारियों व कर्मचारियों की तैनाती और भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। इस आयोग पर सवाल भी ठने लगा है। इसमें कंप्यूटर एवं आइटी
कोआर्डिनेटर आउटसोर्सिंग से होगा। इसके जरिए भर्ती में सेंधमारी हो सकती है। भर्तियों में आउटसोर्सिंग विवादित रही है। इस व्यवस्था का प्रतियोगी छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने इसकी शिकायत राज्यपाल और मुख्यमंत्री से की है। नए आयोग का गठन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की तरह करने की योजना है। नियमावली में सचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त नियंत्रक, विधि अधिकारी, वित्त एवं लेखाधिकारी, उप सचिव आदि की व्यवस्था यूपीपीएससी की तरह ही की गई।
प्रयागराज, । नए शिक्षा सेवा आयोग के सबसे महत्वपूर्ण और गोपनीय विभाग कंप्यूटर सेक्शन में कंप्यूटर एवं आईटी समन्वयक की नियुक्ति आउटसोर्सिंग के माध्यम से किए जाने की व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय और मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मांग की है कि कंप्यूटर एवं आईटी समन्वयक की जिम्मेदारी स्थायी कर्मचारी को ही सौंपी जाए।
समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने कहा कि सरकारी नौकरी के लिए लेनदेन के आरोप अक्सर लगते हैं। ऐसे में भर्तियों में निष्पक्षता बनाए रखना बड़ी चुनौती है। भर्ती का विज्ञापन जारी करने से लेकर परीक्षा परिणाम के अंक चढ़ाने तक सभी महत्वपूर्ण एवं गोपनीय कार्य कंप्यूटर सेक्शन के माध्यम से ही होते हैं। अगर यह जिम्मेदारी आउटसोर्सिंग कर्मी को दे दी जाएगी तो किसी भी स्तर पर गड़बड़ी हो सकती है। समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने कहा कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में कंप्यूटर का काम आउटसोर्सिंग से हो रहा है।