नई दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक ने विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक लगातार पांचवी बार नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। इससे लोगों की ईएमआई मौजूदा स्तर पर ही बरकरार रहने के आसार हैं।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को बताया कि एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आम सहमति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया।
उन्होंने कहा नीतिगत दरें कम करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है, क्योंकि केंद्रीय बैंक के लिए मुद्रास्फीति अभी भी उच्च प्राथमिकता बनी हुई है। वहीं, छह सदस्यों में से पांच ने उदार रुख को वापस लेने के अपने रुख पर कायम रहने का समर्थन किया है। इसका मतलब है कि नीतिगत दर कुछ समय तक ऊंची बनी रह सकती है।
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भारतीय रिजर्व बैंक ने विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक लगातार पांचवी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।
रेपो दर में कटौती की फिलहाल कोई योजना नहीं है। मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य कीमत को स्थिर रखना है। मुद्रास्फीति पर नियंत्रण केंद्रीय बैंक की शीर्ष वरीयता है। -शक्तिकांत दास, आरबीआई गर्वनर
अगले साल ही बदलाव संभव
विशेषज्ञों ने निकट भविष्य में रेपो दर में कटौती की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से पहले ऐसा संभव नहीं। क्रिसिल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्रत्त्ी धर्मकीर्ति जोशी के अनुसार रेपो दर को भले ही अपरिवर्तित छोड़ दिया गया है, लेकिन जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए इसमें सख्ती हो सकती है।
खुदरा महंगाई ऊंची रहने की आशंका
महंगाई के बारे में आरबीआई का कहना है कि इसमें अभी नरमी है। हालांकि, आने वाले दिनों में खाने पीने की चीजों के दाम बढ़ने की आशंका है। नवंबर और दिसंबर में मुद्रास्फीति ऊंची बनी रह सकती है। आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 2023-24 के लिए 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति दर गिरकर 4.87 प्रतिशत आ गई।
जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को सात फीसदी किया
इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.5से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है। दास ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और हमारी बुनियाद सृदृढ़ है। जीएसटी संग्रह, पीएमआई, आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े मजबूत बने हुए हैं। उल्लेखनीय है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.6 रहने के बाद केंद्रीय बैंक ने अपने अनुमान में संशोधन किया है। भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था में सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला देश बना हुआ है।