ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर 2004 के बाद नौकरी में आए लगभग 50 लाख कर्मचारी और अधिकारी आवाज उठा रहे हैं। पिछले पांच साल में सत्ता में आईं पांच राज्यों की गैर भाजपा सरकारों ने ओपीएस लागू करने का ऐलान किया। ऐसा करने वाले राज्य राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड थे।
अब ओपीएस लाने वाले छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकारें बदल चुकी हैं। कागजों में इन सभी राज्यों में कागजों में पुरानी पेंशन लागू है। लेकिन हिमाचल को छोड़कर कहीं भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन नहीं मिल रही। राजस्थान में कुछ को मिली, कुछ को नहीं। झारखंड अंशदान लौटाने की शर्त पर ही ओपीएस देने की बात कह रहा है।
पंजाब ने तो अब तक केवल नोटिफिकेशन जारी किया है। सभी राज्यों ने एनपीएस में जमा 2.5 लाख करोड़ वापस मांगे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने साफ कहा कि पीएफआरडीए एक्ट में इसे वापस देने का प्रावधान नहीं है।
5 राज्यों के हाल…
राजस्थान: निकाला गया हिस्सा लौटाने पर ही ओपीएस
2022 के बाद 600 से ज्यादा एनपीएस से जुड़े रिटायर कर्मचारियों को अंतिम वेतन की 50% राशि बतौर पेंशन मिल रही है। लेकिन बड़ी संख्या में कर्मी सेवाकाल में पढ़ाई, शादी और घर बनाने के लिए एनपीएस में बड़ा हिस्सा निकाल चुके, सरकार का कहना है ये लौटाने पर ही ओपीएस मिलेगी।स्थिति: कागजों पर लागू, लेकिन सबके लिए नहीं।
छत्तीसगढ़: 2018 में ओपीएस लागू, लेकिन अब तक किसी को पुरानी पेंशन नहीं मिली। सरकार का तर्क- राज्य कर्मियों का 17,240 करोड़ रुपए का अंशदान पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के माध्यम से एनएसडीएल में जमा है। केंद्र लौटाए तो ओपीएस।स्थिति: शर्त लगाई है, लागू नहीं
झारखंड: सोरेन सरकार ने 2022 के बाद रिटायर एनपीएस से जुड़े कर्मियों के सामने शर्त रखी कि एनपीएस में 2004 से जमा हिस्सा लौटाएं। तभी ओपीएस के तहत पेशन मिल सकेगी।{स्थिति: अभी लागू नहीं की गई है
पंजाब: मार्च 2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार ओपीएस के वादे के साथ सत्ता में आई। नोटिफिकेशन जारी किया, अब तक किसी को ओल्ड पेंशन नहीं एनपीएस में पेंशन दी जा रही है। स्थिति: लागू नहीं
कई राज्यों में कर्मचारी संगठन ओपीएस की मांग उठा रहे, विपक्ष भी समर्थन मेंपंजाब में ओपीएस को लेकर 8 नवंबर से हड़ताल जारी है। महाराष्ट्र में भी कर्मचारियों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। रेलवे सहित केंद्रीय कर्मियों के संगठन जेएफआर, यूपी कलेक्ट्रेट संघ भी आंदोलन कर रहे हैं। लोकसभा चुनावों को देखते हुए विपक्षी दल इसे समर्थन दे रहे हैं।
ओपीएस में सरकार की जिम्मेदारी ज्यादा जबकि एनपीएस बाजार पर निर्भरओपीएस डिफाइंड बेनिफिट (डीबी) स्कीम है। इसमें सेवानिवृत्त कर्मचारी को अंतिम वेतन की 50% राशि पेंशन में मिलती है। अपने राजस्व से सरकारें पेंशन देती हैं। एनपीएस तय अंशदायी स्कीम है। राशि पेंशन फंड के बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है।
पेंशन का लगातार बढ़ता बोझ… राज्य सरकारों का पेंशन बोझ 1990 तक जीडीपी का 0.6% था, 2022-23 में 1.7% हुआ। 2023-37 तक एनपीएस वाले 20% कर्मचारी रिटायर होंगे जबकि 2038-52 तक ये 60% हो जाएंगे।