लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त दाखिला दिलाने के लिए अगले शैक्षिक सत्र से और सख्ती की जाएगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने अभी से इसकी तैयारी शुरू कर दी है। अभी तक 54,104 निजी स्कूलों की मैपिंग कराई जा चुकी है और इसमें से 29,247 स्कूलों का पंजीकरण भी आरटीई पोर्टल पर किया जा चुका है। अब कक्षा एक से आठ तक गरीब बच्चों के लिए सीटें बढ़कर 5.25 लाख हो गई हैं। अभी तक 42 हजार स्कूलों की कुल 4.25 लाख सीटें ही थी। ऐसे में एक लाख सीटें बढ़ चुकी हैं। उप शिक्षा निदेशक डा. मुकेश
कुमार सिंह ने बताया कि बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने-अपने जिले के शत-प्रतिशत निजी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन आरटीई पोर्टल पर कराएं। अभी सीटों की संख्या और
बढ़ेगी। बीते मार्च में पिछले वर्षों की शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए स्कूलों को 181 करोड़ रुपये दिए गए थे। अब फिर 308 करोड़ रुपये फीस प्रतिपूर्ति के दिए जाएंगे। ऐसे में निजी स्कूल बहाना नहीं बना सकते कि उन्हें गरीब बच्चों को पढ़ाने की एवज में शुल्क नहीं मिल रहा। प्रति छात्र हर महीने 450 रुपये शुल्क और वार्षिक पांच हजार रुपये स्टेशनरी व अन्य खर्चों के लिए दिए जाते हैं। आगे यह धनराशि को डीबीटी के माध्यम से दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि समय पर स्कूलों को धन मिले। सख्ती का ही असर है कि इस बार 96 हजार गरीब बच्चों का आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिला कराया गया।