प्रदेश में सहायक शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए शैक्षिक योग्यता से बीएड को बाहर किया जा सकता है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को इस सम्बंध में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा भेजे गए 4 सितम्बर 2023 के पत्र पर जल्द निर्णय लेने का आदेश दिया है।
उक्त पत्र के द्वारा एनसीटीई ने सभी राज्य सरकारों को सर्वोच्च न्यायालय के देवेश शर्मा मामले में दिए निर्णय के आलोक में कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। देवेश शर्मा मामले में शीर्ष अदालत ने एनसीटीई के उस अधिसूचना को शिक्षा के अधिकार कानून के विपरीत करार दिया था जिसके तहत बीएड को सहायक शिक्षक की शैक्षिक योग्यता में शामिल किया गया था। न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने श्याम बाबू व 312 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए, राज्य सरकार को उपरोक्त आदेश दिया है। याचियों की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार त्रिपाठी की दलील थी कि 28 जून 2018 को अधिसूचना जारी करते हुए, एनसीटीई ने सहायक शिक्षक की शैक्षिक योग्यता में बीएड को शामिल किया था, उत्तर प्रदेश में सम्बंधित नियमों में बदलाव करते हुए, बीएड को शामिल कर लिया गया जबकि राजस्थान में बीएड को शैक्षिक योग्यता में शामिल नहीं किया गया। यह विवाद राजस्थान उच्च न्यायालय गया। राजस्थान उच्च न्यायालय ने एनसीटीई 2018 की अधिसूचना को अविधिक पाते हुए, रद् कर दिया। मामला सर्वोच्च न्यायालय गया और कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
वर्तमान मामले में याचियों ने 28 जून 2018 के अधिसूचना के क्रम में बीएड को शामिल करने सम्बंधी बदलावों को समाप्त करने व सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के परिणाम के पुनरीक्षण की मांग की थी। हालांकि न्यायालय ने आदेश में कहा कि हमारे सामने यह मामला नहीं है कि सरकार ने 2023 के एनसीटीई के पत्र के अनुपालन में कार्रवाई करने से इंकार कर दिया हो, लिहाजा अभी नियमों की वैधता को चुनौती देने का औचित्य नहीं है, हालांकि राज्य सरकार को आदेश देते हैं कि वह पत्र के आलोक में निर्णय लेते हुए कार्रवाई करे।