लखनऊ : परिषदीय स्कूलों के परिसर में चल रहे 449
आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में बदला गया है। यहां बच्चों को बिल्डिंग एज लर्निंग एड (बाला) फीचर्स के माध्यम से रोचक ढंग से पढ़ाने की व्यवस्था की गई थी। सभी स्कूलों को 30-30 हजार रुपये की धनराशि भी जारी की गई थी। पांच |महीने बीतने के बावजद सिर्फ 40 स्कूलों ने ही अभी तक यह कार्य पूरा किया है। अब इन स्कूलों को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा गया है और इसे जल्द बनवाने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूल शिक्षा महानिदेशालय की ओर से इन स्कूलों के भवनों में दीवार फर्श और बरामदे इत्यादि
में विभिन्न आकृतियां बनवाकर विद्यार्थियों को खेल-खेल में शिक्षा देने की व्यवस्था की जा रही है। दीवारों पर आड़ी तिरछी रेखाएं, लूडो, सांप-सीढ़ी, गोल व चौकोर आकृतियों के साथ-साथ वर्णमाला भी लिखवाया जाना था. ताकि विद्यार्थी इसके
माध्यम से रोचक ढंग से ज्ञान प्राप्त कर सकें। निजी प्री-प्राइमरी स्कूलों की तर्ज पर इन सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को यह सुविधा दिए जाने की पहल की गई, लेकिन स्कूलों की लापरवाही के कारण यह परवान नहीं चढ़ पा रही। बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। कि वह स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से जवाब-तलब करें।