बाराबंकी। बेसिक शिक्षा विभाग में चेहरा पहचान प्रणाली से शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी की व्यवस्था जिले में शुरुआती दिनों में ही धड़ाम दिख रही है। बाराबंकी समेत छह जिलों में यह महत्वपूर्ण कवायद पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू कर दी गई है। लेकिन एक माह बाद भी जिले को भेजे गए 92 फीसदी टैबलेट खुले तक नहीं हैं।
मात्र आठ फीसदी टैबलेट की संचालित हो सके हैं। छह जिलों में सबसे खराब हालत बाराबंकी की है। शासन ने सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की रजिस्टर पर हाजिरी की बजाय ऑनलाइन हाजिरी लेने की योजना बनाई है। चेहरा पहचान प्रणाली तैयार की गई है। इसे पहले से बने प्रेरणा पोर्टल से जोड़ा गया है। पोर्टल पर सभी शिक्षकों व विद्यार्थियों का डाटा मौजूद है।
स्कूल की शुरुआत और छुट्टी के समय फोटो ली जाएगी और इससे ही शिक्षकों व विद्यार्थियों की हाजिरी लगेगी। यह व्यवस्था बाराबंकी समेत छह जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू कर दी गई है। जिले में 2626 परिषदीय विद्यालय में करीब आठ हजार शिक्षक तैनात हैं। एक महीने पहले जिले को 4180 टैबलेट भी दिए गए हैं, जिन्हें शिक्षकों को सौंप दिया गया है।
इसी टैबलेट में विभिन्न रजिस्टर भी
समाहित होंगे। बीते 12 दिसंबर को महानिदेशक शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय ने टैबलेट संचालित करने के निर्देश दिए थे। इसपर बेसिक शिक्षा धिकारी ने इसे लेकर सभी 16 खंड शिक्षा अधिकारियों, एआरपी आदि को टैबलेट संचालित करवाने के निर्देश जारी किए थे।
इस निर्देश के 10 दिन बीतने के बाद समीक्षा हुई तो 4180 में से 334 टैबलेट संचालित होते मिले हैं। इसका साफ मतलब है कि 92 फीसदी टैबलेट खुले ही नहीं। शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने मिले टैबलेट का किसी प्रकार से इस्तेमाल नहीं किया है। विभागीय अधिकारी भी हलकान हैं। ऐसे में ऑनलाइन हाजिरी करवाना चुनौती बन गया है।