नई दिल्ली, । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार सरकार से सवाल किया कि ‘वह राज्य में कराए गए जातीय सर्वेक्षण के आंकड़े को किस हद तक रोक सकती है।’ शीर्ष अदालत ने बिहार में कराए गए जाति आधारित सर्वेक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है।
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि अगले सप्ताह
मामले की सुनवाई संभव नहीं है। हमारी कुछ सीमाएं हैं। पीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 29 जनवरी की तिथि तय की है।
सत्यता की जांच जरूरी हालांकि शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों के
वकील से कहा कि मामले में कानूनी मुद्दे यानी उच्च न्यायालय के फैसले की सत्यता की जांच करनी होगी। साथ ही प्रकाशित सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इससे पहले, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने पीठ से कहा कि तत्काल सुनवाई करने की आवश्यकता है।