प्रयागराज, [1] इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि हिंदू पति द्वारा पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि पत्नी जो गृहणी है और जिसकी अपनी कोई स्वतंत्र आमदनी नहीं है, उसके नाम पर खरीदी गई संपत्ति परिवार की संपत्ति होगी। हिंदू परिवारों में बड़ा सामान्य चलन है कि पति अपनी पत्नी के नाम से संपत्ति खरीदते हैं। बेटे द्वारा मृतक पिता की संपत्ति में हिस्सेदार घोषित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने दिया।
कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत न्यायालय यह मानकर चलता है कि गृहणी पत्नी, जिसकी अपनी कोई आमदनी नहीं है, उसके नाम से पति ने संपत्ति खरीदी होगी तो वह परिवार की संपत्ति है। कोर्ट ने कहा कि जब तक यह साबित न कर दिया जाए की संपत्ति पत्नी की आमदनी से खरीदी गई है, उसे पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा। पुत्र ने दीवानी मुकदमा दाखिल कर अपने पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति में एक चौथाई का हिस्सेदार
। प्रयागराज, विधि संवाददाता। [2] शाही भगवान सहित दीवानी को भी आदेश भगवान केशव मुकदमों बोर्ड की कांफ्रेसिंग ऑफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
मथुरा स्थित कटरा केशव देव के नाम दर्ज जमीन से ईदगाह का अवैध कब्जा हटाकर श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने अन्य मांगों को लेकर विचाराधीन मुकदमों की सुनवाई शुक्रवार जारी रखने को कहा है। यह न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने श्रीकृष्ण विराजमान कटरा देव व अन्य सहित 18 दीवानी की सुनवाई करते हुए दिया है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान वक्फ ओर से सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता तसनीम अहमदी ने वीडियो से बहस में कहा कि प्लेसेस वर्शिप एक्ट 1991 के तहत किसी भी धार्मिक स्थल की 15 अगस्त 1947 की प्रकृति में बदलाव नहीं किया
जा सकता। अदालत को इस मुद्दे को
घोषित करने की मांग की। कहा कि संपत्ति पिता द्वारा खरीदी गई है इसलिए वह भी अपनी मां के साथ इसमें हिस्सेदार है। बेटे ने संपत्ति तीसरे पक्ष को स्थानांतरित करने पर रोक लगाने की मांग की थी। पत्नी का कहना था
लेकर कोई मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं है इसलिए ये दीवानी मुकदमे निरस्त किए जाएं। उन्होंने आजादी से पहले दोनों पक्षों के बीच हुए एक समझौते का हवाला देते हुए कहा कि इस आधार पर भी दीवानी मुकदमा खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि अदालत से तय मामले को दोबारा अदालत में नहीं उठाया जा सकता।
कि यह संपत्ति उसके पति ने उसे उपहार में दी है। उसके पास अपनी कोई आमदनी नहीं थी। इस आधार पर ट्रायल कोर्ट ने बेटे द्वारा अंतरिम रोक लगाने की मांग खारिज कर दी थी। इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी
ईदगाह वक्फ की संपत्ति
उन्होंने अपनी बहस में यह भी कहा कि शाही ईदगाह वक्फ संपति है, जिसे लेकर दीवानी अदालत को विवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है। दो घंटे से ज्यादा की लंबी बहस के बाद समयाभाव के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई, जो शुक्रवार को जारी रहेगी। गुरुवार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से किसी ने पक्ष नहीं रखा।