सवाल
Bihar Education Department: बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से सभी जिलाधिकारियों को एक सख्त पत्र जारी किया गया है। इस आदेश पत्र में केके पाठक ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारी को संबोधित करते हुए कई बातें लिखी हैं। केके पाठक के पत्र का विषय है। लोकसभा चुनाव हेतु शिक्षा विभाग के संसाधनों के उपयोग के संबंध में। आइए जानते हैं केके पाठक ने लोकसभा चुनाव और किसी भी चुनाव में शिक्षा विभाग के संसाधनों के प्रयोग को लेकर क्या आदेश जारी किया है।
पटना: बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से लगातार कई मुद्दों को लेकर जिलाधिकारियों को आदेश पत्र जारी किया जाता है। अपर मुख्य सचिव का पदभार संभालने के बाद केके पाठक ने सैकड़ों पत्र जारी किए होंगे। उनके आदेश पर एक्शन भी होता है। ताजा मामला उनके एक ऐसे आदेश पत्र से जुड़ा हुआ है, जिसमें उन्होंने चुनाव के दौरान शिक्षा संसाधनों के प्रयोग को लेकर आदेश जारी किया है।
केके पाठक ने कहा है कि चुनाव के दौरान शिक्षा विभाग के विद्यालय और भवन को परंपरागत तौर पर लिया जाता रहा है। इसके अतिरिक्त शिक्षकों की भी ड्यूटी चुनाव में लगती रही है। उन्होंने अपने पत्र में आगे कहा है कि शिक्षा विभाग भली भांति इस बात से अवगत है कि बिना शिक्षा विभाग के संसाधनों के चुनाव का काम नहीं हो सकता। अतः इस हेतु शिक्षा विभाग जिला प्रशासन को पूर्ण सहयोग करने के लिए संकल्पित है। उन्होंने आगे कहा है कि पिछले सभी चुनाव में परंपरागत तरीके से जिला प्रशासन सबसे पहले शिक्षा विभाग के सारे भवन और सारे कर्मचारी शिक्षक सहित ले लेता है। उसके बाद कमी होने पर अन्य विभागों की ओर देखा जाता है। इस परंपरा पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए।
डीईओ को आदेश
केके पाठक ने अपने आदेश में आगे लिखा है कि मेरा अनुरोध ये है कि शिक्षा विभाग के संसाधनों को लेने से पहले आप निम्नलिखित सावधानियों को बरतने की कृपा करें। उन्होंने कहा है कि शिक्षा विभाग के शैक्षणिक और प्रशिक्षण संबंधी कार्य में बाधा कम पहुंचे।
केके पाठक ने जिलाधिकारियों को साफ-साफ निर्देशित करते हुए कहा है कि शिक्षा विभाग के विद्यालय पहले से ही बूथ के रूप में सूचित किए जा चुके हैं और वोटर लिस्ट भी छप चुकी है। अतः उस संबंध में अब कुछ नहीं किया जा सकता है। किन्तु Strong Room, Counting Center इत्यादि के लिए आप परंपरागत रूप से जिला एवं अनुमंडल मुख्यालय स्तर पर शिक्षा विभाग के भवनों, यानी कि डिग्री कॉलेज, उच्च विद्यालय, डायट इत्यादि को लेते रहे हैं। मेरा आपसे अनुरोध होगा कि परंपरागत तौर पर शिक्षा विभाग के भवनों को लिए जाने से पहले आप ये भी विचार कर सकते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में अन्य विभाग के भी काफी प्रशासकीय/शैक्षणिक भवन बने है।
जिलाधिकारी को आदेश पत्र
केके पाठक ने जिलाधिकारियों को लिखे गए पत्र में कहा है कि ध्यान रहे कि प्रचुर मात्रा में विभिन्न विभागों के भवन, मेडिकल/इंजीनियरिंग कॉलेज, आई.टी. आई, निजी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज इत्यादि भारी संख्या में खुल गए है। अतः आप इन भवनों को भी ईवीएम अथवा मतगणना केन्द्र के लिए लेने पर विचार कर सकते है। मैं ऊपर उल्लेख कर चुका हूं कि हमारे कई विद्यालय/उच्च विद्यालय/डिग्री कॉलेज में मतदान बूथ के तौर पर अधिसूचित हैं और जिसे अब बदला नहीं जा सकता है। यदि कुछ बदला जा सकता है तो वो ये है कि आप मतगणना केन्द्र/ईवीएम इत्यादि के लिए शिक्षा विभाग के अलावे किसी अन्य विभाग के भवनों का इस्तेमाल करें।
कम से कम इस हद तक आपसे ये आशा की जाती है कि आप अन्य विभागों के भवनों को भी Explore करने का प्रयास करेंगे। केके पाठक ने आगे चुनाव कार्य में शिक्षकों की ड्यूटी को लेकर कड़ा आदेश जारी किया है। उन्होंने जिला प्रशासन और चुनाव से जुड़े अधिकारियों से कहा है कि अन्य विभाग के कर्मचारियों को भी चुनावी ड्यूटी में लगाया जाए।
केके पाठक का सख्त आदेश
परम्परागत तौर पर हमारे सभी शिक्षक पोलिंग पार्टी इत्यादि के अंग बनाए जाते हैं। इसके अलावा हाल ही में यह देखा गया है कि शिक्षा विभाग के अन्य प्रखंड स्तरीय कर्मी (जो कि संविदा के माध्यम से रखे गए हैं) को भी चुनावी ड्यूटी में लगाया जा रहा है। उन्हें Sector Magistrate अथवा इसी प्रकार के अन्य कार्यों पर लगा दिया जाता है। इस व्यवस्था को बदलने की आवश्यकता है।
आपसे अनुरोध है कि पहले अन्य विभाग के सभी कर्मियों को चुनाव ड्यूटी में लगाएं उसके बाद शेष बचे हुए कार्य और पदों के लिए शिक्षकों को ड्यूटी में शामिल करें। उपरोक्त आलोक में मेरा आपसे अनुरोध है कि पहले आप अन्य विभागों के भवन की उपलब्धता को टटोलें। साथ ही अन्य विभाग के सारे कर्मचारियों की उपलब्धता को टटोले और आवश्यकता अनुसार उन्हें ड्यूटी में लगाने के बाद, जो Shortfall हो तो उसे शिक्षा विभाग से पूरा करें।
इससे ये संदेश जाएगा कि परंपरागत तरीके से पिछले चुनावों के आधार पर हमारे संसाधनों को नहीं लिया गया है, बल्कि अन्य विभाग के भी संसाधनों को बराबरी के अनुपात में लिया गया है। केके पाठक ने साफ कहा है कि ये अनुभव रहा है कि शिक्षा विभाग के संसाधनों को दो माह की आवश्यकता के लिए कहकर लिया जाता है, किन्तु 06 से 07 साल तक ईवीएम मशीनें, पुलिस बल तथा चुनाव कार्य का अन्य सामान महाविद्यालयों/ विद्यालयों / डायट संस्थानों में पड़ा रहता है, जिसे अधोहस्ताक्षरी द्वारा अभियान के तौर पर बड़ी मुश्किल से खाली कराया जाता है। अतः फिर से यह परंपरा स्थापित नहीं होने दें। केके पाठक ने ये आदेश प्रदेश के सभी उप विकास आयुक्त, सभी क्षेत्रीय उप निदेशक, शिक्षा विभाग, बिहार/सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, शिक्षा विभाग को दिया है।