मेरठ। जिला बेसिक शिक्षा विभाग के 44 एआरपी (एके- डमिक रिसोर्स पर्सन) ने एक साथ सामुहिक त्यागपत्र दे दिया है। त्यागपत्र छोटा मवाना स्थित डाइट के प्राचार्य, मुख्य विकास अधिकारी व बीएसए को दिया गया है। जिसको लेकर विभाग में हड़कंप मच गया है।
जिले में बेसिक शिक्षा विभाग के कुल 1068 विद्यालय है जिनमें करीब डेढ़ लाख छात्र शिक्षा लेते है। वहीं इन स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए शासक स्तर से मपुण भारत योजना चलाई जा रही है। योजना में बच्चों को गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, सामाज शास्त्र व हिंदी पढ़ाने के लिए हर खंड से कुल 44 एआरपी नियुक्त किए गये है। शासन स्तर पर हो रही योजना की मॉनिटरिंग
निपुण भारत योजना की शासन स्तर से मानिटरिंग हो रही है। कुछ दिन पहले ही जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को योजना की समीक्षा के लिए लखनऊ बुलाया गया था। वहां हुई बैठक में मेरठ जिला योजना को पूरा करने के लक्ष्य में काफी पिछड़ा पाया गया। इसको लेकर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को फटकार
भी लगाई गई। बीएसए ने एआरपी के सिर पर फोड़ा ठीकरा
निपुण भारत योजना की समीक्षा बैठक में हिस्सा लेने के बाद बीएसए ने जिले के सभी एआरपी से लिखित में स्पष्टीकण
मांगा कि किस वजह से योजना में मेरठ पिछड़ा है। इसके साथ ही सभी एआरपी की बैठक जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय पर ली गई।
बैठक में की गई अभद्रता
त्यागपत्र देने वाले एआरपी ने बताया कि बीएसए ने 17 फरवरी को ली बैठक में पहुंचे एआरपी के साथ अभद्रता करते हुए अपमानित किया। इसके साथ ही निपुण भारत योजना में जिले के पीछे रहने का ठीकरा भी एआरपी के सिर पर फोड़ दिया। एआरपी का कहना है कि जिस योजना में पिछड़ने के लिए उन्हें जिम्मेदार बताया जा रहा है उसके लिए पूरा
विभाग जिम्मेदार है। इनमें खंड शिक्षा अधिकारी से लेकर जिला मुख्यालय स्तर पर तैनात अधिकारी भी शामिल है।
मार्च में समाप्त हो रहा है कार्यकाल
सभी 44 एआरपी का कार्यकाल मार्च माह में समाप्त हो रहा है। जिसके बाद उन्होंने आगे से यह जिम्मेदारी निभाने से इंकार कर दिया है। सभी एआरपी ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र मुख्य विकास अधिकारी, प्राचार्य डाइट व जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को सौंप में दिया है जिसके बाद विभाग हड़कंप मच गया है।
मामले को लेकर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो सका। कुल मिलाकर यह प्रकरण आगामी सत्र 2024-25 में बच्चों के लिए चलाई जा रही निपुण भारत योजन पर ग्रहण लगा सकता है जिसका खामियाजा इन स्कूलों पढ़ने वाले छात्रों को ही भुगतना पड़ेगा।