आरओ और एआरओ की उत्तरकुंजी में छिपे हैं राज
प्रयागराज । (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 की उत्तरकुंजी में कई राज छिपे हैं। वायरल प्रश्नों के वैकल्पिक उत्तरों में कितने सही और कितने गलत थे, यह उत्तरकुंजी से मिलान के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। हालांकि, आयोग ने अपने स्तर से इसकी जांच कराई है।
प्रारंभिक परीक्षा कुल 200 अंकों की थी और इसमें दो प्रश्नपत्र शामिल थे। दोनों ही प्रश्नपत्र वस्तुनिष्ठ प्रकार के थे। पहला पेपर सामान्य अध्ययन का 140 अंकों का था, जिसे दो घंटे में हल करना था। इसमें 140 प्रश्न थे। वहीं, दूसरा पेपर सामान्य हिंदी का था, जिसमें सामान्य शब्द ज्ञान एवं व्याकरण से संबंधित 60 प्रश्न पूछे गए थे और यह प्रश्नपत्र 60 अंकों का था। इसे एक घंटे में हल करना था।
आयोग के सूत्रों का कहना है कि अब तक मिले साक्ष्यों के अनुसार पहली पाली की परीक्षा से एक घंटे पहले प्रथम प्रश्न
उत्तरकुंजी से वायरल हुए वैकल्पिक उत्तरों के मिलान के बाद स्पष्ट होगी स्थिति
पत्र के वैकल्पिक उत्तर वायरल किए गए थे और जांच में पता चला है कि इनमें से केवल 60 सवालों के उत्तर सही हैं। वहीं, हिंदी के प्रश्न पत्र में 60 में से 28 सवालों के वैकल्पिक उत्तर सही हैं। इससे यह तो साफ है कि वायरल किए गए वैकल्पिक उत्तर किसी काम के नहीं थे।
अगर कोई अभ्यर्थी सिर्फ वायरल हुए वैकल्पिक उत्तरों को देखकर जवाब देता तो निगेटिव मार्किंग के कारण फेल हो जाता। हालांकि, यह पूरी तरह से तभी स्पष्ट हो सकेगा, जब आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा- 2023 की उत्तरकुंजी सामने आएगी, लेकिन पेपर लीक विवाद के कारण उत्तरकुंजी जारी किए जाने की उम्मीद अब बहुत कम रह गई है। उत्तरकुंजी जारी होने पर ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि वायरल हुए वैकल्पिक उत्तरों में कितने सही और कितने गलत थे।
समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) 2023 की प्रारंभिक परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों को लेकर मचा बवाल थमने की नाम नहीं ले रहा। सोमवार को पूरे दिन गुरिल्लायुद्ध से हालात बने रहे। जगह-जगह विरोध कर रहे 28 प्रदर्शनकारी प्रतियोगी छात्रों को पुलिस ने बलपूर्वक पकड़ लिया। कुछ के मोबाइल भी पुलिस ने छीन लिए। रविवार को अवकाश के बाद सोमवार को आयोग खुलने से पहले ही भारी फोर्स तैनात कर दी गई थी।
आयोग के प्रवेश द्वार पर बैरिकेडिंग करने के साथ ही पैरामिलिट्री फोर्स लगाई गई थी। कुछ छात्र प्रदर्शन करने पहुंचे तो पुलिस ने खदेड़ दिया। वहां से भागकर छात्र पत्थर गिरजाघर स्थित धरनास्थल पर पहुंचकर परीक्षा निरस्त करने की मांग करने लगे। वहां कुछ छात्र पुलिस को धक्का देकर आयोग की ओर जाने लगे तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने लाठी फटकारी। इससे सिविल लाइंस इलाके में भगदड़ मच गई। वहां से दर्जनों छात्र सुभाष चौराहे की ओर भागे तो पीछे-पीछे पुलिसकर्मी भी लाठी लिए दौड़ते रहे।
सुभाष चौराहे पर कुछ छात्रों ने दुकानों में घुसकर छिपने की कोशिश की लेकिन पुलिसकर्मियों ने उन्हें कॉलर पकड़कर निकाला और गाड़ी से ले जाकर अलग-अलग थानों में बैठा लिया। बाद में सभी 28 छात्रों को शहर से बाहर नैनी थाने लेते गए जहां देररात तक छात्र छोड़े नहीं गए थे। इसके अलावा सिविल लाइंस में धोबी घाट, हिन्दू हॉस्टल, एकलव्य चौराहा, प्रधान डाकघर, एनआईपी चौराहा, हनुमान मंदिर चौराहा आदि पर छात्रों और पुलिस के बीच भागने-पकड़ने की स्थिति बनी रही। प्रदर्शन के दौरान एसीपी श्वेताभ पांडेय ने छात्रों को काफी समझाने का प्रयास किया। हालांकि छात्र परीक्षा निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
छात्रों को दौड़ाया, वीडियो वायरल
आरओ/एआरओ परीक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान पत्थर गिरजाघर से सुभाष चौराहे की तरफ छात्रों को दौड़ाते पुलिसकर्मियों का वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स और फेसबुक आदि पर वायरल हो गया। एक यूजर ने एक्स पर व्यंग करते हुए लिखा ‘यूपी में बहुत तेज दौड़ाकर नौकरी दी जा रही है..’ जिस पर कई अन्य ने प्रतिक्रिया दी। किसी ने तंज किया कि दौड़ाकर नियुक्ति पत्र देने जा रहे हैं तो किसी ने इसे शर्मनाक बताया।
आरओ/एआरओ में बाहरी थे आधे कक्ष निरीक्षक
आरओ/एआरओ 2023 में पेपरलीक के आरोप लगने के कारण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का एक नया प्रयोग दबा रह गया। नकल पर नकेल के लिए आयोग ने सभी परीक्षा केंद्रों पर 50 प्रतिशत कक्ष निरीक्षक बाहर के लगाए थे। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि बाह्य कक्ष निरीक्षक के टोकाटाकी से गड़बड़ी नहीं होने पाएगी। यह प्रयोग यूपी बोर्ड में लंबे समय से होता आ रहा है। आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रदेश के 58 जिलों में 2387 केंद्र बनाए गए थे। आवेदन करने वाले 10.70 लाख से अधिक अभ्यर्थियों में से तकरीबन 6.5 लाख परीक्षा में शामिल हुए थे।