सोनभद्र। शिक्षकों की कमी से जूझते जिले के परिषदीय विद्यालयों में आधुनिक कक्षाओं से बच्चों को स्मार्ट बनाने का सपना अभी अधूरा रह गया है। जिले के 360 स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं शुरू कराने का दावा है, लेकिन हकीकत में स्मार्ट क्लास की राह में कई मुश्किलें है। इस कारण जिले में करीब 40 फीसदी स्कूलों में स्मार्ट क्लास का संचालन ठप है।
आदिवासी बहुल सोनभद्र जिले में संचालित 2061 स्कूलों में शिक्षकों के पचास फीसदी पद रिक्त हैं। शिक्षकों की कमी के बीच बेहतर आधुनिक शिक्षा के उद्देश्य से विभिन्न परियोजनाओं के सीएसआर मद से 360 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास स्थापित किए गए हैं। सबसे ज्यादा स्मार्ट क्लास बभनी में 40, चोपन में 36, म्योरपुर 94, दुद्धी में 37 सहित अन्य क्षेत्र में हैं। देखभाल और निगरानी पर उपेक्षा के कारण 40 फीसदी स्मार्ट क्लास का संचालन नहीं हो पा रहा है।
जिले के विभिन्न ब्लॉकों में 25 से 30 स्कूल ऐसे हैं जहां स्मार्ट क्लास तो लगा दिए गए हैं, मगर वहां बिजली ही नहीं हैं। इसके अलावा यूपीएस और सेंसर में तकनीकी दिक्कत से भी स्मार्ट क्लास लंबे समय से बंद पड़े हैं। शिक्षकों का कहना है कि कई बार सूचना देने के बाद भी इसकी मरम्मत नहीं कराई जा सकी है। नतीजा यह है कि हजारों छात्र बेहतर संसाधन होने के बाद भी उसके लाभ से वंचित हैं। बभनी में 40 स्कूलों में से करीब आधे स्कूलों में स्मार्ट क्लास का संचालन ठप है। वहीं प्राथमिक विद्यालय बसकट्टा, महुआरी टोला, भैसाबांध टोला, अधौरा और चैनपुर में बिजली न होने से स्मार्ट क्लास का संचालन नहीं हो पा रहा है। दुद्धी के चार विद्यालयों प्राथमिक विद्यालय रजखड़ पूर्वी, घाट पिंडारी दुमहान, नगवां पूर्वी, गुप्ता बस्ती घीवहीं में बिजली का कनेक्शन नहीं होने से स्मार्ट क्लास शोपीस बने हैं।
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कई स्कूलों में चोरी हो गए सामान
जिले में स्मार्ट क्लास की सुरक्षा भी भगवान भरोसे है। लाखों के उपकरण स्कूलों में लगा तो गया है, मगर जिम्मेदारों ने सुरक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया। ऐसे में चोपन, करमा और म्योरपुर ब्लॉक के एक-एक स्कूल शामिल हैं।