Kanpur, महाराजपुर के शंकरानंद जूनियर हाई स्कूल में मिड डे मील खाने से 13 बच्चों की हालत बिगड़ गई। बच्चों को कांशीराम अस्पताल व हैलट में भर्ती कराया गया है। यहां इनकी हालत अब ठीक बताई जा रही है। मौके पर घटना की जांच के लिए स्वयं बेसिक शिक्षा अधिकारी और सहायक खाद्य आयुक्त द्वितीय पहुंचे। अस्पतालों में भी जाकर बच्चों का हाल जाना और बात की। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने चार सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है। सरसौल स्टेशन के पास शंकरानंद जूनियर हाईस्कूल है। जहां पर मदारीखेड़ा गांव के निवासी सिकन्दर के बेटे आमिर (07), शमी मोहम्मद (08), नूर इस्लाम का बेटा एहसान (12), ताज मोहम्मद का बेटा अंसार (12), रहमत का बेटा अफजल (11), नौशाद के बेटे हुसैन (12) व मोहम्मद शारिक (08), शान मोहम्मद के बेटे अफजल(14), गुलाब्जा(09), सना(10), शफीक का बेटा सलमान (08) और फौजिया का बेटा रिजवान (09) ,बेटी फरजाना (10) पढ़ते हैं।
बच्चों ने बताया कि सोमवार दोपहर करीब 12:15 बजे उन्हें मिड डे मील में आलू गोभी की सब्जी, चावल और रोटी दी गई थी। इसे खाने के बाद उन्हें चक्कर और उल्टी आने लगी। स्कूल में डॉक्टर को बुलवाया गया। फिर प्राथमिक उपचार देकर बच्चों को घर भेज दिया गया। घर जाने के बाद भी बच्चों की हालत ठीक नहीं हुई। इसके बाद ग्रामीणों से फोन कर स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी। मौके पर तीन एम्बुलेंस पहुंची और बच्चों को लेकर पहले सरसौल सीएचसी गई। यहां से सभी को कांशीराम अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां से आठ बच्चों को हैलट रेफर किया गया। पांच बच्चों को इसी अस्पताल में रखा गया।
सहायक अध्यापक बोले- बच्चों ने जहरीला फल खाया है
स्कूल के प्रधानाचार्य ओमप्रकाश वर्मा अवकाश पर हैं। यहां के सहायक अध्यापक शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि कुल 127 बच्चों का भोजन बना था। इंटरवल में बच्चे भोजन करने के बाद मैदान में खेल रहे थे। वहां जेट्रोफा का पेड़ है। बच्चों ने इसका फल खा लिया। इससे उनकी हालत बिगड़ गई। हालांकि अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टरों से जहरीला पदार्थ खाने से इनकार किया है।
स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप
बच्चों के परिजनों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन की लापरवाही से बच्चों की हालत बिगड़ी है। बताया गया कि स्कूल में भोजन के बाद जब बच्चे बीमार हो गए तो उन्हें घर भेज दिया गया। स्कूल के द्वारा इसकी सूचना तक नहीं दी गई। वहीं, बच्चों के परिजन कांशीराम से हैलेट भेजने पर भड़क गए। उनका कहना था कि वे हैलेट में बच्चों का उपचार नही कराएंगे। फिर समझाने के बाद वे राजी हुए।
जांच को भेजे खाद्य सामग्री के नमूने
बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरजीत कुमार सिंह, सहायक खाद्य आयुक्त द्वितीय विजय प्रताप सिंह और एसडीएम नर्वल रिषभ वर्मा घटना स्थल और अस्पताल पहुंचे। उन्होंने रसोई भी देखी। अस्पताल में बच्चों से बात की। सहायक खाद्य आयुक्त द्वितीय विजय प्रताप सिंह ने बताया कि टीम ने स्कूल के किचन का निरीक्षण किया है। एक खाली कमरे को किचन बनाया गया है। जिसमें टाइल्स, खाली टंकी, टिन के डब्बे आदि रखे हैं। दीवारों पर मकड़ी का जाला लगा मिला और काफी गंदगी थी। टीम ने किचन में रखे दाल, चावल, सब्जी मसाला, धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर समेत छह सैंपल लिए हैं। जिसे जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया है।
सीडीओ सुधीर कुमार का कहना है कि स्कूल में ही मिड डे मील बनता है। 120 बच्चों ने मिड डे मील खाया था, जिसमें 13 बच्चे बीमार पड़े हैं। सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं। एसडीएम नर्वल, बेसिक शिक्षा अधिकारी व खाद्य सुरक्षा आयुक्त द्वितीय की संयुक्त टीम जांच कर रिपोर्ट देगी। अस्पतालों में बच्चों का हालचाल लिया है, वे ठीक हैं।
बीएसए सुरजीत कुमार सिंह का कहना है कि अनुदानित जूनियर हाईस्कूल की घटना है। खंड शिक्षा अधिकारी मुख्यालय, खंड शिक्षा अधिकारी सरसौल, डीसी एमडीएम और डीसी बालिका घटना की विस्तृत जांच करेंगी। मैं स्वयं अस्पताल गया था। कांशीराम में तीन बच्चों ने जेट्रोफा फल खाने की बात कही लेकिन हैलट में बच्चों ने इससे इनकार किया। जांच रिपोर्ट में जो भी सामने आएगा उसी के अनुसार एक्शन लिया जाएगा।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण आर्या ने बताया, हैलट में आठ बच्चे आए थे। इनमें से दो की हालत गंभीर थी। इलाज के बाद इनकी हालत में भी सुधार हो गया। धीरे-धीरे सभी बच्चे अब सामान्य स्थिति में हैं। प्राथमिक तौर पर फूड प्वाइजनिंग का मामला लगता है। पूरी तरह सामान्य होने के बाद ही उन्हें यहां से रिलीव किया जाएगा। बच्चों एमडीएम खाने के बाद हालत बिगड़ने की बात कह रहे हैं।