आजमगढ़ जिले में पिछले दिनों 10 शिक्षक निलंबित हुए और उसमें से बिना दंड के आठ शिक्षक फिर से बहाल हो गये। इस पर महानिदेशक ने हैरानी जताई है। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने ऐसे कुछ प्रकरण की जानकारी मिलने पर सख्ती शुरू कर दी है। विभाग ने बीएसए से ऐसे मामलों को लेकर सतर्क रहने को कहा है। कहा है कि कर्मियों का निलंबन तब तक नहीं करना चाहिए, जब तक सरकारी सेवकों के खिलाफ गंभीर आरोप न हो।
महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर बिना लघु या दीर्घ दंड दिए ही शिक्षकों को बहाल किए जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली वर्ष 1999 के नियम संख्या चार (एक) में स्पष्ट लिखा है कि सरकारी सेवकों को गंभीर शिकायत और ठोस सुबूत होने पर उन्हें निलंबित किए जाने का प्रावधान है, मगर यहां ऐसा नहीं हो रहा। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के निलंबन के बाद उन्हें न तो दीर्घ दंड दिया जा रहा है या नहीं लघु दंड दिया जा रहा है। उन्हें बिना कोई दंड दिए ही बहाल किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर आजमगढ़ जनपद में 10 शिक्षकों को निलंबित किए गए और उसके बाद आठ शिक्षकों को लघु दंड देकर बहाल कर दिए गए। ऐसे में यह प्रतीत हो रहा है कि शिक्षकों को पर्याप्त आधार के बिना ही निलंबित किया जा रहा है। फिलहाल अब आगे महानिदेशालय स्तर से इसकी मॉनीटरिंग होगी। बीएसए पर्याप्त आधार के बिना किसी शिक्षक को निलंबित नहीं कर सकेंगे।