नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बिना दावे वाली बीमा पॉलिसी के मामलों में बड़ा बदलाव किया है। नियामक ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे दावारहित राशि लौटाने में बीमा एजेंट की मदद लें। इसके लिए एजेंटों और मध्यस्थों को ऐसी पॉलिसी के ग्राहकों का पता लगाना होगा और सभी दावा रहित पॉलिसी में उनके संपर्क विवरण, बैंक खाते आदि को अपडेट करना होगा।
अपने नंबर न दें एजेंट दरअसल, इरडा के समक्ष बिना दावे वाली पॉलिसी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे रोकने के लिए इरडा ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे अपने एजेंटों और मध्यस्थों को उनके द्वारा बेची गई पॉलिसियों के प्रति जवाबदेह बनाएं। इसके तहत बीमाकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि एजेंट या मध्यस्थ अपने ग्राहकों के प्रस्ताव फॉर्म और आवेदन पत्र जमा करते समय अपना फोन नंबर या ईमेल आईडी न दें।
बीमा कंपनियों के लिए निर्देश
1. नवीनीकरण के समय पॉलिसीधारकों का मोबाइल नंबर, ईमेल पता, नामांकित विवरण आदि अपडेट करना होगा
2. अधूरी केवाईसी पूरी करनी होगी या नाबालिगों की दोबारा केवाईसी करनी होगी
3. ग्राहकों को अपने संपर्क नंबर और बैंक विवरण को ऑनलाइन अपडेट करने का कहा जाएगा
4. बिना दावे वाली पॉलिसी के ग्राहकों तक पहुंचने के लिए विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल करना होगा
5. पॉलिसीधारकों को पॉलिसी की परिपक्वता से कम से कम छह माह पहले अग्रिम सूचना देनी होगी
लावारिस पॉलिसी की परिभाषा तय
इसके साथ ही इरडा ने दावा न की गई राशि की परिभाषा को भी संशोधित किया है। अब ऐसी पॉलिसी, जहां मुकदमेबाजी, क्लेम पर किसी तरह की आपत्ति अथवा सरकारी एजेंसियों द्वारा पॉलिसी को फ्रीज करने के कारण दावा राशि रोक दी गई है, उन्हें लावारिस राशि नहीं माना जाएगा। नियामक ने स्पष्ट किया कि जिन पॉलिसी में लाभार्थी या उपभोक्ता संपर्क योग्य नहीं हैं, उन्हें लावारिस की श्रेणी में रखा जाएगा।