गजरौला में एक जनवरी को सब्जी खरीदने के दौरान शिक्षक को गोली मार दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में एक शिक्षिका समेत दो को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने दबिश देकर तीसरे आरोपी अमरपाल को गिरफ्तार कर लिया है। उसने बताया कि शिक्षिका ने ही सुपारी दी थी।
गजरौला में हत्या के मामले में दस साल जेल में रहने के बाद पैरोल पर चल रहे सजायफ्ता ने दो लाख रुपये की सुपारी लेकर शिक्षक को गोली मारी थी। रिमांड पर लाए गए आरोपी ने पूछताछ के दौरान सुपारी लेकर वारदात को अंजाम देना कबूल किया। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने घटना में इस्तेमाल तमंचा बरामद किया है।
सीओ श्वेताभ भास्कर ने बताया कि नए साल पर एक जनवरी की सुबह नौ बजे मंडी समिति में अतरपुरा मोहल्ला निवासी शिक्षक नरेंद्र सिंह को उस वक्त गोली मार कर घायल कर दिया गया, जब वह सब्जी खरीद कर कार में बैठ गए थे। शिक्षक पर हमला खाद गुर्जर के उनके ही किसान आदर्श इंटर कॉलेज की शिक्षिका रश्मि ने कराया था।
इसके लिए उसने नौगावां सादात थाना क्षेत्र के गांव अक्खा नगला निवासी अमरपाल को दो लाख रुपये की सुपारी दी थी। अमरपाल पर 2013 में गांव के ही देवेंद्र की हत्या करने का आरोप है। इस प्रकरण में उसके खिलाफ थाना नौगांवां सादात में मुकदमा दर्ज किया गया। 2006 में उसने देवेंद्र के भाई योगेंद्र की हत्या की।
जिसमें उसे आजीवन कारावास की सजा हुई। वह दस साल जेल में रहा। बीते साल पैरोल पर छूट गया। वह इस पैरोल पर चल रहा था। सुपारी लेकर शिक्षक को गोली मारने में उसका नाम आने पर पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए दबिश दी। उसने एक अन्य मामले में न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया।
जहां से पुलिस उसे रिमांड पर लेकर आई। इंस्पेक्टर हरीश वर्धन सिंह व एसएसआई ब्रजेश सिंह ने उससे पूछताछ की। उसने शिक्षक को गोली मारने की घटना कबूल की। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल 12 बोर का तमंचा बरामद किया।
सजायाफ्ता को नहीं कोई पछतावा
शिक्षक को दो लाख रुपये की सुपारी लेकर गोली मारने के आरोपी से पुलिस ने पूछताछ की तो वह हंसते हुए जवाब दे रहा था। उसके चेहरे पर चिंता या पश्चाताप के भाव नहीं थे। उसे यह भी पछतावा नहीं था कि सजायफ्ता होने के बावजूद भी उसने शिक्षक को गोली मारने का गलत काम किया है। जिसकी उसे लंबी सजा हो सकती है।
सीओ श्वेताभ भास्कर ने बताया कि उसके खिलाफ सजा होने के इतने सबूत हैं कि उसका बच पाना संभव नहीं है। वह वारदात को अंजाम देता हुआ सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। यह न्यायालय में सबूत के तौर पर काम आएगी। सीओ ने बताया कि उसकी पैरोल को निरस्त कराने के लिए न्यायालय को पत्र लिखा जाएगा।
तीन लोगों के खून से सने हैं हाथ
रिमांड पर लाए गए अमरपाल ने 2006 में गांव के ही योगेंद्र की हत्या की। उसके खिलाफ हत्या का नामजद मुकदमा दर्ज किया गया। मृतक का भाई देवेंद्र मुकदमे की पैरवी कर रहा था। उसने सात साल बाद 2013 में देवेंद्र की भी गोली मार कर हत्या कर दी। जिससे उसका खौफ पूरे इलाके में फैल गया।
उसकी दहशत के चलते योगेंद्र व देवेंद्र के परिवार ने गांव ही छोड़ दिया। वह बाहर छिपकर रहने लगे। अमरपाल ने 2005 में रजबपुर थाना क्षेत्र के गांव जगुआ निवासी एक ग्रामीण का अपहरण करने के बाद उसकी हत्या की। शव को छिपा दिया था। कई दिन बाद शव बरामद हुआ था।