प्रतापगढ़। परिषदीय विद्यालयों में अब दोपहर का भोजन एल्युमिनियम के बर्तन में नहीं बनेगा। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने एल्युमिनियम लॉचिंग से बच्चों की सेहत पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए इस पर रोक लगाई है। ऐसे में अब स्कूलों में सिर्फ स्टील के बर्तन ही प्रयोग में लाए जाएंगे।
जिले के परिषदीय विद्यालयों में अभी तक भोजन बनाने के लिए ज्यादातर एल्युमिनियम के बर्तन ही प्रयोग में लाए जा रहे हैं, लेकिन अब शासन ने इन बर्तनों का प्रयोग
एल्यूमिनियम लीचिंग के खतरे से बचाने के लिए शासन ने दिए निर्देश बंद कर स्टील की व्यवस्था का निर्देश दिया है।
इसके लिए विद्यालयों को मिलने वाले पांच-पांच हजार रुपये का प्रयोग किया जा सकता है। बाल रोग विशेषज्ञ अनिल कुमार ने बताया कि एल्युमिनियम बर्तन में खाना बनाने और खाने से सेहत बिगड़ सकती है। यह आयरन और कैल्शियम जैसे तत्वों को सोख लेता है। अधिक तापमान पर बनाए गए खाने के साथ एल्युमिनियम मिलकर पेट में जाता है, जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं। याददाश्त भी प्रभावित हो सकती है।
अगर एल्युमिनियम के बर्तन का प्रयोग हो रहा है तो उसमें बना खाना बहुत देर तक स्टोर नहीं करना चाहिए। बीएसएस भूपेंद्र सिंह ने बताया कि स्कूलों में एल्युमिनियम के बर्तन पहले ही रोक लगा दी गई थी।
फिलहाल शासन के निर्देश के क्रम में स्कूलों में स्टील के बर्तन की व्यवस्था कराई जाएगी। बच्चों की सेहत का पूरा ख्याल रह जाएगा।
एल्युमिनियम के बर्तन से होने वाले रोग
प्रतापगढ़। मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. मनोज खत्री ने बताया कि एल्युमिनियम के बर्तन में बने भोजन का प्रयोग करने पर एनीमिया किडनी समस्या, त्वचा पर खुजली, रूसी, पेट संबंधी समस्या, ओस्टो मालिसिया जैसे गंभीर रोग होने की संभावना होती है। संवाद