लखनऊ। मोबाइल का अधिक इस्तेमाल बड़ों से कहीं ज्यादा छोटे बच्चों की सेहत को प्रभावित कर रहा है। मोबाइल फोन बच्चों के दिमागी विकास को रोक रहा है। बच्चों में ठीक से न बोल पाने की समस्या बढ़ रही है और वे नए शब्द नहीं सीख पा रहे हैं। बच्चों को व्यावहारिक व किताबीं चीजें सीखने और समझने में परेशानी हो रही है। यह चौंकाने वाले तथ्य केजीएमयू के मनोचिकित्सा विभाग के सर्वे में सामने आए हैं।
ओपीडी में हर महीने मोबाइल एडिक्शन के शिकार 50 बच्चे आ रहे हैं। मनोचिकित्सकों द्वारा की गई स्क्रीनिंग में अभिभावकों ने स्वीकार किया है कि उनके बच्चे रोज चार से छह घंटे मोबाइल देख रहे हैं।
केजीएमयू के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. विवेक अग्रवाल का कहना है कि माता-पिता बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। अभिभावक घर पर रहते हुये भी बच्चों के साथ आधा-एक घंटा भी नहीं बिता रहे हैं। बच्चों की जिद के आगे अभिभावक उन्हें मोबाइल फोन थमा दे रहे हैं।
बच्चों में यह बदलाव मिले
बच्चों को समझने और सीखने में दिक्कत, अकेले में रहना पसंद कर रहे किसी की बात न सुनना, बात- बात में गुस्सा होना, किसी चीज व बात मनवाने के लिए जिद करना। ये सभी मोबाइल एडिक्शन के लक्षण हैं। इन्हें नहीं रोका गया तो दिमाग का पूरी तरह विकास नहीं होगा और उग्र प्रवृत्ति बढ़ेगी।
अभिभावक ये उपाय करें
● कुछ देर के लिए ही मोबाइल दें
● खिलौने दें और बातचीत करें
● पार्क में बच्चों के साथ खेलें
इन बातों का रखें ध्यान
घर या स्कूल में शांत रहना, बोलने में दिक्कत, नया शब्द बोलने व सीखने में समस्या, हर समय मोबाइल पर का प्रयोग करना
5 साल तक के बच्चे रोज चार से छह घंटे देख रहे मोबाइल फोन
● सुशील सिंह