नई दिल्ली, । बीमा नियामक इरडा ने बिना दावे वाली बीमा राशि से जुड़े मामलों में नया निर्देश जारी किया है। इरडा ने बीमा कंपनियों से पॉलिसी धारकों की 1000 रुपये या इससे अधिक की बिना दावे वाली राशि का ब्योरा वेबसाइट पर देने को कहा है।
इरडा ने हाल ही में इसे लेकर एक जारी सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि बिना दावे वाली रकम के बढ़ते मामलों से बीमा नियामक और सरकार चिंतित हैं। पॉलिसीधारकों को इसे लौटने के लिए बीमा कंपनियां नई व्यवस्था लागू करें। कंपनियों के लिए जरूरी है कि वो अपनी वेबसाइट पर बिना दावे वाली पॉलिसी और रकम का खुलासा करें। उन्हें यह जानकारी हर छह महीने में अपडेट करनी होगी। इरडा ने साफ कहा है कि जिन पॉलिसियों के ग्राहकों या लाभार्थियों से संपर्क नहीं हो पा रहा है, उन्हें दावा रहित श्रेणी में रखें।
ऐसे पता चलेगी रकम
इरडा ने बीमा कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर सर्च करने की सुविधा देने को कहा है। इसकी मदद से पॉलिसीधारक या आश्रित ऐसी रकम का पता लगा सकेंगे। इसके लिए पॉलिसीधारक का नाम, पैन, पॉलिसी नंबर और जन्म तिथि दर्ज करनी होगी
क्या हैं निपटान के नियम
नियमों के अनुसार अगर परिपक्वता अवधि पूर्ण होने की तारीख से छह महीने तक दावा नहीं किया जाता है तो वह राशि दावा रहित मानी जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार जीवन बीमा कंपनियों के पास 25,000 करोड़ रूपये की बिना दावे वाली रकम जमा है। इसमें सबसे अधिक 84 फीसद यानी करीब 21,000 करोड़ रुपये एलआईसी के पास है।
इसलिए बढ़ रहे ऐसे मामले
बीमा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा एजेंट कई बार पॉलिसी बेचते समय ग्राहकों का पूरा पता और सही ब्योरा दर्ज नहीं करते। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग अपना पता और मोबाइल नंबर बदल देते हैं। कुछ लोग बीमा पॉलिसी तो खरीद लेते हैं, लेकिन परिजनों के साथ साझा नहीं करते। ऐसे में उनके परिजन बीमा राशि पर दावा नहीं कर पाते।
बीमा कंपनियों को निर्देश
● पॉलिसी के नवीनीकरण के समय ग्राहक का मोबाइल नंबर, ईमेल पता और नॉमिनी अपडेट करें।
● बीमाधारकों को संपर्क नंबर और बैंक ब्योरा ऑनलाइन अपडेट करने की सुविधा दें।
● पॉलिसीधारकों को परिपक्वता अवधि पूरी होने की सूचना कम से कम छह महीने पहले दें