महराजगंज। बेसिक शिक्षा विभाग में चंद दिन तैनात रहने के बाद बर्खास्त किए गए प्रदेश के पांच जिलों के 1075 शिक्षकों की होली करीब 10 साल बाद खुशियों के रंगों से भरी होगी। सुप्रीम कोर्ट से आदेश के बाद बेसिक शिक्षा सचिव ने उनकी फाइल तलब की है। जिले में उसे खंगाला जा रहा है। आशा है जल्द ही जिले के बर्खास्त 175 शिक्षकों को तैनाती मिल जाएगी।
अविभाजित उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में 1995 में बीएड डिग्रीधारकों को सीधे प्राथमिक विद्यालयों में तैनात किया गया था। इसके लिए शासनादेश जारी हुआ था कि यह केवल पहाड़ी इलाकों के लिए मान्य है। उसी शासनादेश और नियुक्ति को आधार बनाकर महराजगंज, गोरखपुर, बस्ती, बुलंदशहर और बहराइच जिले के बीएड डिग्रीधारक 1995 में हाईकोर्ट चले गए कि जब पहाड़ी इलाकों इस तरह की तैनाती हो सकती है तो मैदानी इलाकों में क्यों नहीं। कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारकों के पक्ष में 1997 में फैसला सुनाते हुए तैनाती का आदेश दिया। इस पर सरकार ने बेसिक शिक्षा नियमावली का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए। उसके बाद अभ्यर्थी अवमानना याचिका लेकर हाईकोर्ट चले गए। उनकी अवमानना रिट के बाद इन जिलों के बीएसए को बेसिक शिक्षा परिषद सचिव ने मौखिक आदेश देकर प्राथमिक विद्यालयों में तैनात करने का निर्देश दिया। उस पर शासन ने भी हामी भर दी।
आदेश के बाद महराजगंज के तत्कालीन बीएसए कालीचरन भारती ने मई 2003 में विज्ञापन जारी किया। जिसमें कुल 175 बीएड अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। इस आधार पर 20 मई 2003 को ज्वाइनिंग लेटर जारी हुआ। अन्य चारों जिलों को मिलाकर कुल 1075 शिक्षकों की नियुक्ति की गई। अभी उनको तैनाती पाए 48 दिन ही बीते थे कि सरकार ने अपनी मंशा बदल दी। इस आधार पर बीएसए ने पांच जुलाई 2003 को सभी शिक्षकों को रिकाल कर लिया। उसके बाद सभी 1075
शिक्षकों को शासन ने बर्खास्त कर दिया। साथ ही वहां तैनात बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पहले सस्पेंड किया, बाद में बर्खास्त कर दिया। सरकार की इस कार्रवाई से आहत शिक्षक फिर हाईकोर्ट चले गए। जिसमें महराजगंज, गोरखपुर, बस्ती और बुलंदशहर जिले के अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद बेंच और बहराइच ने लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने उनको वापस विद्यालयों पर भेजने का आदेश दिया। साथ कहा कि सरकार चाहे तो इनका प्रशिक्षण करा सकती है। सरकार इस आदेश पर कार्रवाई करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने सात नवंबर 2011 को राज्य सरकार की दलील को खारिज कर दी। कोर्ट ने उनको 10 हफ्ते के अंदर तैनात कर सूचित करने को कहा है।
ऐसे चला मामला हाईकोर्ट का पहला आदेश 1997 में आया।
अवमानना वाद पर 1998 में आया फैसला।
सभी पांच जिलों में बीएसए ने नियुक्ति को ले मई 2003 में निकाला विज्ञापन
20 मई 2003 को शिक्षकों की नियुक्ति।
पांच जुलाई 2003 को बीएसए ने सभी शिक्षकों को रिकाल किया। सात जुलाई को सभी बर्खास्त।
बर्खास्त शिक्षक हाईकोर्ट गए। फैसला पक्ष में आया।
सरकार फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई।
सात नवंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील खारिज की। तैनात करने के लिए सरकार को 10 हफ्ते का समय दिया