यूपी बोर्ड का नया शैक्षणिक सत्र 25 दिन बाद एक अप्रैल से शुरू होने जा रहा है लेकिन राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और 12 नॉन-एनसीईआरटी किताबों का टेंडर अब तक नहीं हो सका है। ऐसे में बोर्ड के 27 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ाई कर रहे कक्षा नौ से 12 तक के 1.10 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को सस्ती किताबों के लिए अभी महीनों इंतजार करना होगा।
बोर्ड की ओर से एनसीईआरटी से अधिकृत 36 विषयों की 70 किताबें और 12 अन्य किताबों के प्रकाशन के लिए हर साल टेंडर होता है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद किताबों के दुकानों तक पहुंचने में दो से तीन महीने का समय लग जाता है। खास बात यह है कि यूपी बोर्ड की किताबें एनसीईआरटी से भी सस्ती हैं और यदि समय से दुकानों पर पहुंच जाएं तो गरीब बच्चों को सर्वाधिक लाभ होगा लेकिन हर साल टेंडर जारी करने में देरी होती है। पिछले साल भी सत्र शुरू होने के तीन महीने बाद 30 जून को टेंडर फाइनल हुआ था।
स्कूल खुलने पर नई कक्षा में किताब खरीदने का दबाव बढ़ने पर बच्चों को मजबूरन महंगी किताबें लेनी होंगी जिससे अभिभावकों की जेब पर अनावश्यक बोझ बढ़ेगा। सूत्रों के अनुसार बोर्ड की ओर से टेंडर जारी करने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है लेकिन शासन की अनुमति के इंतजार में प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है।