31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त परिषदीय शिक्षकों के लिए बंद हो गई थी सामूहिक बीमा पॉलिसी योजना
अगस्त 2019 तक तीन हजार शिक्षकों से होती रही नियम विरुद्ध बीमा धनराशि की कटौती
बस्ती। बेसिक शिक्षा विभाग के लेखा अनुभाग में अजब-गजब कारनामा है। जिन शिक्षकों के लिए सामूहिक बीमा योजना 31 मार्च 2014 को बंद हो गई थी, उनकी तनख्वाह से इस मद में चार साल से अधिक समय तक कटौती की गई। अनुमानित डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि इस योजना में काटी गई है। बाद में शिक्षकों को जब असलियत पता चली तो विरोध हुआ। दो साल पहले इस धन की वापसी का आदेश हुआ। मगर अब तक शिक्षकों की यह धनराशि उनके खाते में नहीं पहुंची। इससे शिक्षकों की उलझन बढ़ गई है।
वर्ष 2014 तक परिषदीय शिक्षकों के लिए सामूहिक बीमा योजना चल रही थी। इसमें बीमा किस्त के रूप में प्रति शिक्षक 87 रुपये प्रतिमाह उनके तनख्वाह से कटौती कर ली जाती रही। 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त परिषदीय शिक्षकों के लिए यह योजना बंद कर दी गई। बावजूद इसके लेखा अनुभाग ने इस अवधि के बाद नियुक्त शिक्षकों से इस मद में धन की कटौती करना बंद नहीं किया। जिले में 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त करीब तीन हजार शिक्षकों से 87 रुपये प्रति शिक्षक प्रतिमाह की दर लगातार चार साल से अधिक समय अगस्त 2019 तक कटौती की गई है।
बीमा कटौती की यह धनराशि डेढ़ करोड़ से अधिक की बताई जा रही है। विभाग को अब यह न उगलते बन रहा है और न निगलते। उधर, धनराशि वापस करने के लिए शिक्षकों का दबाव बना हुआ है। विभाग की इस गलती से उच्चाधिकारी भी उलझे हुुए हैं।
शिक्षक नेता बाल कृष्ण ओझा ने कहा कि 2014 के बाद नियुक्त लगभग तीन हजार शिक्षक के वेतन से बीमा धनराशि की कटौती नियम विरुद्ध ढंग से की गई है। दो साल पहले वित्त नियंत्रक स्तर से धन वापसी के आदेश भी जारी किए गए। बावजूद इसके यह धन वापस नहीं हुआ। शिक्षक नेता शैल शुक्ला ने बीमा धनराशि की वापसी के लिए प्रदेश स्तर पर आंदोलन खड़ा किया गया था। मगर सार्थक कार्रवाई नहीं हुई। अब फिर से आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाएगा।
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शिक्षक संगठनों ने किया था विरोध
वर्ष 2019 में यह खुलासा हुआ कि 31 मार्च 2014 के बाद से नियुक्त शिक्षकों के वेतन से बीमा धनराशि की कटौती नियम विरुद्ध है। इसका कोई लाभ इन शिक्षकों को नहीं मिलेगा। इसके बाद शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया। मामला उजागर होते ही विभाग ने कटौती बंद करा दी। वित्त नियंत्रक स्तर से धन वापसी के आदेश भी जारी किए गए। मगर इसके बाद से इस मद में कटौती किए गए रकम को वापस करने की नीति नहीं बन पाई है। शिक्षकों के वेतन से कटाैती की गई इस धनराशि का जवाबदेह बनने से जिम्मेदार कतरा रहे हैं।
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यह थी योजना
सामूहिक बीमा योजना के तहत परिषदीय शिक्षक को दुर्घटना होने पर आर्थिक लाभ मिलता था। यदि सेवा अवधि में किसी तरह की अनहोनी नहीं हुई तो अन्य देयकों के साथ यह बीमा धनराशि परिपक्वता के साथ शिक्षक को लाभ के रूप में दी जाती थी। 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए यह योजना समाप्त कर दी गई।
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कोट
बीमा धनराशि कटौती का यह प्रकरण काफी पुराना है। उस समय मेरी तैनाती यहां नहीं थी। यदि ऐसा है तो इसकी जांच कराकर संपूर्ण जानकारी विभाग को प्रेषित की जाएगी। वहीं से इस पर कुछ निर्णय लिया जा सकता है।
-अनूप तिवारी, बीएसए