लखनऊ : परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों का वेतन अब अधिकारी नहीं रोक सकेंगे। उप्र सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली और उप्र बेसिक शिक्षा – परिषद कर्मचारी वर्ग नियमावली में वेतन अवरुद्ध करना किसी भी प्रकार – के दंड की श्रेणी में नहीं आता। फिर – भी बड़ी संख्या में बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) छोटी-छोटी गलतियों पर शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन रोक देते हैं।
महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन – वर्मा की ओर से सभी बीएसए को -निर्देश दिए गए हैं कि शासन के – कार्मिक विभाग द्वारा निलंबन एवं अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अधीन – एवं निर्धारित प्रपत्रों के आधार पर – ही कार्रवाई की जाए। अगर ऐसा न किया गया तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि न्यायालय ने वेतन अवरुद्ध करने को – विधिक दंड न मानते हुए विभिन्न – रिट याचिकाओं में आदेश दिए हैं। – शिक्षकों व कर्मचारियों के खिलाफ – अनुशासनात्मक कार्रवाई का संपूर्ण विवरण मानव संपदा पोर्टल पर – भी अपलोड किया जाए ताकि यह – जानकारी हो सके कि कब किसके खिलाफ जांच शुरू की गई और उस – पर अंत में क्या निर्णय लिया गया। – फिलहाल अब वेतन रोकने का खेल खत्म होगा।
मनमाने ढंग से दंड के नाम पर वेतन न रोकें, महानिदेशक स्कूल शिक्षा का फरमान
बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित विद्यालयों में शिक्षकों, कर्मचारियों व बाबुओं का वेतन अब दंड के नाम पर नहीं रोका जाएगा। यदि कोई बिना सूचना अनुपस्थित रहकर वेतन लेने का प्रयास करता है, तो सभी तथ्यों के साथ जांच कर वेतन में कटौती की जायेगी। उसका रिकॉर्ड सर्विस बुक पर दर्ज होगा।
इस संबंध में शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को नियमावली का हवाला देते हुए आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक उ.प्र. सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 तथा उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद कर्मचारी वर्ग नियमावली 1973 में वेतन अवरूद्ध करना किसी प्रकार के दण्ड के रूप में नियम नहीं है।
ई-सेवा पुस्तिका पर दर्ज होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई
शिक्षा महानिदेशक ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेशित किया है कि शासनादेशों तथा नियमावलियों के आलोक में शिक्षक व शिक्षिका या कर्मचारी के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही को ई-सेवा पुस्तिका पर भी दर्ज किया जाए। ऐसा न करने पर बीएसए जिम्मेदार होंगे।
भ्रष्टाचार पर प्रहार: विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, जिलों में जब शिक्षक व कर्मचारियों पर किसी भी प्रकार से दंडात्मक कार्रवाई की जाती है तो उसके नाम पर सबसे पहले वेतन रोका जाता है। कोर्ट भी कई बार विभाग से जवाब तलब कर चुका है कि वेतन किस आधार पर रोका गया है। वेतन रोका जाता है, फिर बहाल हो जाता है। अब डीजी के आदेश के बाद वेतन रोकने व बहाली के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकेगा।
नियम पर ध्यान नहीं दिया तो अधिकारी भी होंगे दंडित
महानिदेशक के आदेश के मुताबिक, नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद वेतन अथवा वेतन वृद्धि रोकी जायेगी। । ऐसी कार्यवाही अत्यन्त गम्भीर प्रकरण में ही की जायेगी। आदेश में कहा गया है कि शासन के कार्मिक विभाग की ओर से निलम्बन एवं अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अधीन व निर्धारित प्रपत्रों पर ही कार्यवाही की जाये। अन्यथा कार्यवाही करने वाले अधिकारी के विरूद्ध भी नियम विरूद्ध कार्य करने की कार्यवाही की जायेगी। किसी तात्कालिक प्रकरण में जिलाधिकारी की अनुमति से कर्मचारी को प्रतीक्षा में रखा जा सकता है। इसका स्थायी अनुमोदन निदेशक बेसिक शिक्षा द्वारा तथ्यों के आधार पर अनुमोदित किया जायेगा।
महानिदेशक को वेतन अवरुद्ध करने की मिली शिकायत
महानिदेशक को इस बात की शिकायत मिली थी कि विभागीय कार्यक्रमों में अपेक्षित परिणाम प्राप्त न होने के कारण या फिर विभागीय आदेशों की अवहेलना के कारण शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मियों के विरूद्ध कार्रवाई के नाम पर वेतन अवरूद्ध किया जाता है। ये नियमावली के मुताबिक गलत है। महानिदेशक अपने आदेश में कहा कि बेसिक शिक्षा अनुभाग-5 के शासनादेश में स्पष्ट है कि वेतन या वेतन वृद्धि रोकना अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रकिया से शामिल होता है। अतः जब तक स्थापित नियमों के अधीन औपचारिक आदेश जारी न हो, किसी भी कार्मिक का वेतन अथवा वेतन वृद्धि को रोकी नहीं जाएगी। अन्यथा यह दायित्व निर्धारण का विषय होगा।
शिक्षक / शिक्षिका / कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के सम्बन्ध में।
विभिन्न विभागीय कार्यक्रमों में अपेक्षित परिणाम प्राप्त न होने के कारण अथवा विभागीय आदेशों की अवहेलना के कारण शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मियों के विरूद्ध आपके स्तर से कार्यवाही की जाती है। संज्ञान में आया है कि कार्यवाही के नाम पर शिक्षकों का वेतन अवरूद्ध किया जाता है। उ०प्र० सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 तथा उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद कर्मचारी वर्ग नियमावली 1973 में वेतन अवरूद्ध करना किसी प्रकार के दण्ड के रूप में उल्लिखित नहीं है।
“वेतन या वेतन वृद्धि रोकना अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रकिया से शासित होता है अतः जब तक स्थापित नियमों के अधीन औपचारिक आदेश निर्गत न हो, किसी भी कार्मिक के वेतन अथवा वेतन वृद्धि को रोका नहीं जायेगा, अन्यथा यह दायित्व निर्धारण का विषय होगा।
नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की समस्त प्रक्रिया पूर्ण किये जाने के पश्चात् ही वेतन अथवा वेतन वृद्धि रोकी जायेगी और ऐसी कार्यवाही अत्यन्त गम्भीर प्रकरण में ही की जायेगी। पुनः बल दिया जाता है कि शासन के कार्मिक विभाग द्वारा निलम्बन एवं अनुशासनात्मक प्रक्रिया के अधीन एवं निर्धारित प्रपत्रों आदि पर ही कार्यवाही की जाये, अन्यथा कार्यवाही करने वाले अधिकारी के विरूद्ध भी नियम विरूद्ध कार्य करने की कार्यवाही की जायेगी। किसी तात्कालिकता के प्रकरण में जिलाधिकारी की अनुमति से उक्त कर्मचारी को प्रतीक्षा में रखा जा सकता है, जिसका स्थायी अनुमोदन निदेशक बेसिक शिक्षा द्वारा तथ्यों के आधार पर अनुमोदित किया जायेगा।