प्रयागराज। आरओ-एआरओ भर्ती 2023 की प्रारंभिक परीक्षा में पेपर लीक होने पर मुकदमा दर्ज हो गया लेकिन अभी तक यह पता नहीं चला कि किसने और कैसे पेपर आउट कराया। नकल माफियाओं का परीक्षा केंद्रों पर सेटिंग थी या किसी अन्य तरीके से पेपर को वायरल किया गया। सिविल लाइंस पुलिस इस हाईप्रोफाइल केस को एसटीएफ से जांच कराने की तैयारी में जुटी है। पुलिस का तर्क है कि इस केस की पहले से एसटीएफ जांच कर रही है।
लोकसभा आयोग के सचिव अशोक कुमार ने पेपर लीक प्रकरण में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस प्रकरण में मुकदमा दर्ज होने से पहले ही शासन ने लखनऊ एसटीएफ को जांच सौंपी थी। एसटीएफ को जिम्मेदारी दी गई थी कि वह पता लगाएं कि मामले में क्या सच्चाई है। इस बीच यह मुकदमा दर्ज हो गया। सिविल लाइंस पुलिस फिलहाल इस प्रकरण की जांच कर रही है। लेकिन पुलिस अफसर इसे मुकदमे को एसटीएफ को ट्रांसफर कराना चाहते हैं। इससे पूर्व भी आयोग में पेपर लीक प्रकरण में वाराणसी एसटीएफ ने कार्रवाई की थी। हालांकि इस प्रकरण में सिविल लाइंस पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच की टीम भी नकल माफियाओं का सुराग लगाने में जुटी है। पुलिस के लिए यह चुनौती बन गया है। एक तरफ आरओ-एकआरओ परीक्षा तो दूसरी ओर सिपाही भर्ती परीक्षा, दोनों में पेपर लीक होने का आरोप लगा और परीक्षा को निरस्त कर दिया गया।